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ड्रग केस में फंसाने की धमकी देकर ठगने वाले काल सेंटर का पर्दाफाश, आठ गिरफ्तार

अमेरिका के नागरिकों को ड्रग केस में फंसाने के नाम पर लाखों क

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Nov 2021 09:18 PM (IST)Updated: Wed, 17 Nov 2021 09:18 PM (IST)
ड्रग केस में फंसाने की धमकी देकर ठगने वाले काल सेंटर का पर्दाफाश, आठ गिरफ्तार
ड्रग केस में फंसाने की धमकी देकर ठगने वाले काल सेंटर का पर्दाफाश, आठ गिरफ्तार

जागरण संवाददाता, नोएडा :

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अमेरिका के नागरिकों को ड्रग केस में फंसाने के नाम पर लाखों की ठगी करने वाले एक कुख्यात गिरोह का बुधवार को सेक्टर-58 कोतवाली पुलिस ने पर्दाफाश किया है। गिरोह में शामिल आठ सदस्यों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। काल सेंटर की आड़ में यह धंधा पिछले एक साल से फल-फूल रहा था। गिरोह का सरगना विनोद लखेरा अब भी पुलिस की पकड़ से दूर है। ठगी के काल सेंटर के बारे में कोतवाली प्रभारी विनोद कुमार को सटीक इनपुट मिले थे। इसी क्रम में एसीपी रजनीश वर्मा के निर्देश पर कोतवाली पुलिस की टीम ने बुधवार तड़के सेक्टर-62 स्थित आइथम टावर में चल रहे काल सेंटर से आठ आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया। आरोपितों की पहचान मध्य प्रदेश निवासी सतेंद्र लखेरा, प्रशांत लखेरा और सुनील वर्मा, मेरठ निवासी सुमित त्यागी और केशव त्यागी, हापुड़ निवासी अरुण चौहान, एटा निवासी विशाल तोमर और बरेली निवासी राहत अली के रूप में हुई है। सभी आरोपित इंटरमीडिएट से स्नातक तक के छात्र हैं। आरोपितों ने ठगी के लिए अपना नाम रिक एलीन, जैक, हैनरी, विलसन, जान, डेविड वाटसन, राबर्ट और डेविस रखा हुआ था। आरोपितों के पास से पुलिस की टीम ने 10 कंप्यूटर, एक लैपटाप, प्रिटर, 10 हेडफोन, राउटर, हार्ड डिस्क, 99 लेटरपैड समेत अन्य दस्तावेज बरामद किए हैं। एफबीआइ का अधिकारी बताकर लेते थे रडार पर पूछताछ में आरोपितों ने बताया कि वह अमेरिकी वेंडर्स से अमेरिकी लोगों का डेटाबेस प्राप्त करते थे। वेंडर्स से उन नागरिकों का डेटाबेस मांगा जाता था, जो ड्रग्स के मामले में किसी न किसी प्रकार से संलिप्त हों। ठगी का 15 प्रतिशत हिस्सा वेंडर्स को दिया जाता था। कार्ड को भारतीय मुद्रा में करते थे ट्रांसफर एडीसीपी रणविजय सिंह ने बताया कि आरोपित अमेरिकी नागरिकों को रडार पर लेने के बाद रुपये की मांग करते थे। खास बात यह है कि ठग रुपये सीधे नहीं लेते थे वरन गूगल गिफ्ट कार्ड लेते थे। बाद में कार्ड को भारतीय मुद्रा में ट्रांसफर कर लेते थे। अमेरिका में गूगल गिफ्ट कार्ड मुद्रा सरीखी ही मानी जाती है। हर सदस्य को मिलता था लक्ष्य

पुलिस ने बताया कि गिरोह में शामिल हर सदस्य को प्रतिमाह 25 से 40 हजार का भुगतान किया जाता था। इसके अलावा जितने डालर की ठगी होती थी, उसका 20 प्रतिशत कमीशन सदस्यों को दिया जाता था। हर व्यक्ति को एक हजार डालर की ठगी करने का लक्ष्य रोजाना दिया जाता था। पन्ना से आपरेट हो रहा था गिरोह एसीपी रजनीश वर्मा ने बताया कि गिरोह का सरगना विनोद लखेरा मध्य प्रदेश के पन्ना में बैठकर पूरे गिरोह को आपरेट कर रहा था। विनोद द्वारा नोएडा के अलावा कई अन्य शहरों में ऐसे गिरोह संचालित होने की बात कही जा रही है। विनोद ने अपना नाम माइकल रखा हुआ था और पन्ना के दफ्तर से इसको कंट्रोल करता था। पहले दिया जाता था अंग्रेजी बोलने का प्रशिक्षण एडीसीपी रणविजय सिंह ने बताया कि आरोपितों को पहले अमेरिकी एक्सेंट में बात करने के लिए दो महीने का प्रशिक्षण दिया जाता था। दक्षता हासिल होने के बाद आरोपित इंटरनेट कालिग कर अमेरिकी नागरिकों को धमकाते थे और ड्रग केस में फंसाने की धमकी देकर रुपये की उगाही करते थे। रात में चलता था काल सेंटर पुलिस ने बताया कि नोएडा में काल सेंटर रात में संचालित होता था। आरोपित अमेरिकी नागरिकों को काल कर कहते थे कि हमें अमेरिकी कानूनी एजेंसी की तरफ से आपके बैंक खातों की जानकारी साझा की गई है। इसमें मैक्सिको और कोलंबिया से ड्रग के लेनदेन का कनेक्शन सामने आया है। इसके बाद नागरिक डर के मारे मामले को रफा-दफा करने के लिए रिश्वत देने पर उतारू हो जाते थे। इसके बाद ठग उनसे गूगल गिफ्ट कार्ड ले लेते थे। इन गिफ्ट कार्डो को पिक्सफुल आनलाइन साइट पर जाकर अपना आधार, पैन कार्ड से सत्यापन कराकर भारतीय मुद्रा में ट्रांसफर करा लेते थे। कंप्यूटर सर्विस के नाम पर भी ठगी की जाती थी।


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