दो दशक से काम पूरा होने का इंतजार कर रहा एफएनजी
कुंदन तिवारी नोएडा 23 किलोमीटर की सड़क जिसके जरिए नोएडा से होते हुए गाजियाबाद और
कुंदन तिवारी, नोएडा :
23 किलोमीटर की सड़क जिसके जरिए नोएडा से होते हुए गाजियाबाद और फरीदाबाद को सीधी कनेक्टिविटी देनी थी, उसे फरीदाबाद-नोएडा-गाजियाबाद (एफएनजी) का नाम दिया गया। इसे एक्सप्रेस-वे भी घोषित किया गया, लेकिन दो दशक बाद भी एफएनजी का निर्माण अधूरा है। कई सरकारें बदलीं लेकिन इस एक्सप्रेस-वे को पूरा करने की सुध किसी ने नहीं ली। इस मार्ग के जरिए गाजियाबाद-फरीदाबाद के बीच की दूरी बिना दिल्ली जाए 15 मिनट में तय होती। इससे हजारों लोगों को प्रतिदिन लाभ होता, लेकिन जिले के लिए यह बड़ा मुद्दा किसी भी राजनीतिक दल के चुनावी घोषणा पत्र में अपनी जगह नहीं बना सका। सिर्फ 20 फीसद काम पूरा हुआ
एनसीआर के तीन बड़े शहरों को जोड़ने वाली महत्वाकांक्षी परियोजना सरकारों की मेहरबानी का इंतजार कर रही है। इस एक्सप्रेस-वे की उपयोगिता बढ़ाने के लिए इसका विस्तार करते हुए लंबाई लगभग 75 किलोमीटर कर दी गई। इस एफएनजी का 20 फीसदी काम पूरा हो चुका है जबकि 80 फीसदी काम एनएचएआइ को पूरा करना है।
बढ़नी थी एफएनजी की उपयोगिता
2015 में इस मार्ग को एक तरफ गाजियाबाद के मेरठ रोड से नोएडा तक करीब 8 किलोमीटर और दूसरी ओर फरीदाबाद के रास्ते सोहना रोड तक करीब 28 किलोमीटर तक विस्तार कर नेशनल हाइवे के रूप में विकसित करने की योजना बनाई गई। 75 किलोमीटर लंबे इस प्रस्तावित हाइवे को हरिद्वार-देहरादून से सोहना के रास्ते जयपुर तक का विकल्प माना जा रहा है। नोएडा क्षेत्र में 70 प्रतिशत काम पूरा
प्राधिकरण ने गाजियाबाद के एनएच-24 स्थित छिजारसी से नोएडा, ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे को पार करते हुए यमुना तक करीब 23 किलोमीटर लंबे सिक्स लेन मार्ग का निर्माण कार्य लगभग 70 फीसदी पूरा कर लिया है। बिल्डरों ने खूब उठाया फायदा
एफएनजी परियोजना के नाम का फायदा बिल्डरों ने खूब उठाया। वर्ष 1998 में एनसीआर प्लानिग बोर्ड के रीजनल प्लान में और फरीदाबाद नगर निगम के सुझाव पर 2011 के मास्टर प्लान में इसे शामिल किया गया था, लेकिन सर्वे के बाद इस योजना को रद कर दिया गया। नोएडा और ग्रेटर फरीदाबाद की बिल्डर लाबी ने एफएनजी के नाम से निवेशकों को महंगे दामों पर फ्लैट बेचे लेकिन साल दर साल गुजरते गए, लेकिन एफएनजी बनकर तैयार नहीं हुआ। सत्ता का संतुलन फिर भी देरी हुई
केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद एफएनजी को नेशनल हाईवे का दर्जा दिलाने की मशक्कत शुरू हुई। एफएनजी एनएचएआइ को सुपुर्द होने की अटकलों को देखते हुए साल 2015 की शुरुआत में ही नोएडा प्राधिकरण ने निर्माण कार्य रोक दिया। नवंबर 2015 में केंद्र ने प्रस्ताव को मंजूरी भी दे दी। इस दौरान उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के नेतृत्व में सपा की सरकार थी। ऐसे में इस परियोजना की लेटलतीफी की वजह राजनीतिक खीचतान को भी माना गया, लेकिन 2017 में केंद्र और हरियाणा के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में भी भाजपा की सरकार बन गई। ऐसे में इस परियोजना में देरी होना समझ से परे है।
परियोजना की विशेषता
-अब तक नोएडा के नक्शे में नहीं है कोई हाइवे, एफएनजी के रूप में नोएडा को मिलेगा पहला नेशनल हाइवे
-हाइवे पूरी तरह बनने के बाद गाजियाबाद से फरीदाबाद जाने के लिए नहीं नापनी होगी दिल्ली की दूरी।
-गाजियाबाद और नोएडा से न केवल फरीदाबाद जाना आसान होगा, बल्कि गुरुग्राम जाने का नया विकल्प मिलेगा।
-एफएनजी एक्सप्रेस-वे नोएडा, ग्रेनो वेस्ट, ग्रेटर फरीदाबाद के लिहाज से लाइफलाइन से कम नहीं एफएनजी के अड़ंगे
-एनएच-24 एलिवेटेड रोड : नोएडा से गाजियाबाद को जोड़ने के लिए एनएच-24 पर छिजारसी कट के पास एलिवेटेड रोड बनाने का काम ठंडे बस्ते में।
-एफएनजी एलिवेटेड रोड : एफएनजी मार्ग का बड़ा हिस्सा हरनंदी के किनारे से गुजरेगा। ऐसे में रिवर फ्रंट एरिया को बचाने के लिए सेक्टर-112 से सेक्टर-140 तक करीब 6.5 किलोमीटर लंबा एलिवेटेड रोड बनाने की थी योजना।
-एक्सप्रेस-वे ट्रैफिक रोटरी : एफएनजी को फरीदाबाद से जोड़ने के लिए नोएडा, ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे पर ट्रैफिक रोटरी बनाने की योजना भी ठप।
-नोएडा के सेक्टर-168 के पास से यमुना पर पुल बनाकर फरीदाबाद को कनेक्ट करने की योजना भी खटाई में पड़ी।
फरीदाबाद व गुरुग्राम जाने के लिए वैकल्पिक मार्ग बन जाती तो नोएडा की तस्वीर बदल जाती। अब एफएनजी पूरा होने की आस को लेकर आखें थकने लगी है।
-सुधीर श्रीवास्तव, उद्यमी दिल्ली होते हुए फरीदाबाद व गुरुग्राम जाने में काफी समय बर्बाद होता है। एफएनजी बेहतर विकल्प था।
-अजय मल्होत्रा, उद्यमी
सिर्फ बिल्डरों को फायदा देने के लिए इसका इस्तेमाल किया गया, जनता को मूर्ख बनाया गया।
-सुभाष चौहान, अध्यक्ष, आरडब्ल्यूए मेट्रो अपार्टमेंट व्यापारियों के लिए एफएनजी वरदान साबित हो सकता है, लेकिन इस ओर सरकार ध्यान नहीं दे रही है।
-किरण पाल चौहान, व्यापारी