अभियान - ड्राइ¨वग के दौरान म्यूजिक व मोबाइल के चक्कर से बढ़ रहे हादसे
फर्राटा भरने वाली बेहतरीन सड़कों पर ड्राइ¨वग के दौरान म्यूजिक सुनना और मोबाइल पर बात के चक्कर में अधिकांश सड़क हादसे हो रहे है। ऐसा नहीं है कि आम लोगों को इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन जुर्माने की राशि काफी कम होने की वजह से इस पर लगाम नहीं लग पा रही है और लगातार सड़क हादसों की संख्या में इजाफा हो रहा है। यातायात विभाग की तरफ से वाहन चलाने के दौरान ईयर फोन लगाने, मोबाइल पर बात करने वालों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जाती है, लेकिन चालान की राशि काफी कम होने की वजह से लोग जुर्माना भर कर आसानी से निकल जाते हैं।
जागरण संवाददाता, नोएडा :
फर्राटा भरने वाली बेहतरीन सड़कों पर ड्राइ¨वग के दौरान म्यूजिक सुनना और मोबाइल पर बात करने के चक्कर में अधिकांश सड़क हादसे हो रहे हैं। ऐसा नहीं है कि आम लोगों को इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन जुर्माने की राशि काफी कम होने से इस पर लगाम नहीं लग पा रही है और लगातार सड़क हादसों की संख्या में इजाफा हो रहा है। यातायात विभाग की तरफ से वाहन चलाने के दौरान ईयर फोन लगाने, मोबाइल पर बात करने वालों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जाती है, लेकिन चालान की राशि काफी कम होने से लोग जुर्माना भर कर आसानी से निकल जाते हैं। यातायात विभाग के अनुसार वाहन चलाने के दौरान मोबाइल पर बात करते पकड़े जाने पर यातायात पुलिस के पास कार्रवाई के रूप में केवल 100 रुपये का जुर्माने का चालान काटने का अधिकार है। ऐसे में पकड़े जाने पर लोग आसानी से जुर्माना भरकर निकल जाते हैं और यातायात पुलिस देखती रह जाती है। इसका असर है कि लगातार कार्रवाई के बाद भी सड़क हादसों की संख्या में कोई कमी नहीं आ रही है। सड़कों के किनारे लगे एलईडी स्क्रीन भी है खतरनाक -
सड़क सुरक्षा के लिए काम करने वाली एनजीओ ट्रैक्स के संचालक अनुराग कुलश्रेष्ठ का मानना है कि वाहन चलाने के दौरान मोबाइल पर बात करने, ईयर फोन लगाकर गाना सुनने, कार में खास कर आगे की तरफ लगे एलसीडी स्क्रीन के साथ-साथ सड़कों के किनारे लगे एलसीडी स्क्रीन से वाहन चालकों का ध्यान भटकता है। वाहन चलाने के दौरान पल भर के लिए भी ध्यान भटकने पर 25 से 30 प्रतिशत तक सड़क हादसे की आशंका बढ़ जाती है। नियमों के उल्लंघन पर जुर्माने की राशि में लंबे समय में परिवर्तन नहीं हुआ है। जुर्माने की राशि में भारी बढ़ोत्तरी की जरूरत है। जबतक लोगों में आर्थिक रूप से कड़ी कार्रवाई का डर नहीं होगा तब तक लोगों में सुधार की उम्मीद कम है।