मानक के अनुरूप नहीं हो रहा पीपीई का निस्तारण
फोटो 23 एनओबी-3 - जिला अस्पताल में सूखे व गीले कचरे के साथ फेंकी जा रही पीपीई जागरण संव
फोटो 23 एनओबी-3
- जिला अस्पताल में सूखे व गीले कचरे के साथ फेंकी जा रही पीपीई
जागरण संवाददाता, नोएडा: जिला अस्पताल में डॉक्टरों को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाने के लिए पर्सनल प्रोटेक्शन इक्यूपमेंट किट (पीपीई) दी गई है। लेकिन इस्तेमाल के बाद पीपीई का निस्तारण ठीक ढंग से नहीं हो रहा है। पीपीई किट को अस्पताल से निकलने वाले सूखे व गीले कचरे के साथ फेंका जा रहा है। जिससे कोरोना संक्रमण के फैलने का खतरा है। कोविड गाइडलाइन के तहत बायोमेडिकल वेस्ट नियमों के तहत कूड़े का निस्तारण किया जाना है। इसके लिए अस्पताल में काले, लाल, पीले व सफेद रंग के डस्टबिन रखे गए हैं। लेकिन डॉक्टर जल्दबाजी में इस्तेमाल पीपीई को सूखे व गीले कचरे के डस्टबिन में फेंक रहे हैं। बाद में सफाईकर्मी इन्हें अस्पताल के मुख्य द्वार पर रखे एक बड़े से डस्टबिन में फेंक आते हैं। अस्पताल के एक स्वास्थ्यकर्मी ने बताया कि प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में मरीज आते हैं। इसलिए स्वास्थ्य कर्मी से लेकर सुरक्षा गार्ड तक प्लास्टिक एप्रेन व पीपीई पहनते हैं। लेकिन अधिकांश अपनी ड्यूटी खत्म होने के बाद इन्हें नियमों के अनुसार पीले रंग के डस्टबिन में फेंकने के बजाये लाल, काले व सफेद रंग के डस्टबिन में फेंक रहे हैं। यह है निस्तारण का तरीका:
पीपीई इस्तेमाल करने के बाद एक फीसद हाइपोक्लोराइट के घोल में डुबा दी जाए। बाद में इसे बैग में पैक किया जाए। कोविड-19 मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट के तहत इस कूड़े के लिए अलग से एक गाड़ी का बंदोबस्त किया जाए। लेकिन जिला अस्पताल से निकलने वाले सूखे, गीले व ठोस कचरे को अलग-अलग नहीं किया जाता। नोएडा प्राधिकरण की गाड़ी भी अस्पताल से निकलने वाले सामान्य कूड़े के साथ पीपीई किट व अन्य सुरक्षा उपकरण को बिना अलग-अलग किए ले जा रही है।
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कोविड गाइडलाइन के तहत स्वास्थ्य कर्मियों को पीले डस्टबिन में पीपीई व कोविड उपकरण को एक बैग में पैक कर फेंकने के निर्देश है, जो स्वास्थ्यकर्मी ऐसा नहीं कर रहे हैं। उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे।
- डॉ. वंदना शर्मा, सीएमएस, जिला अस्पताल