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सीओसी ने सुरक्षा-एनबीसीसी के प्रस्ताव को किया खारिज, लिक्यूडेशन में जा सकती जेपी इंफ्रा

कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (सीओसी) ने सुरक्षा रियलटी-एनबीसीसी के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। छह मई को आईबीसी के तहत 270 दिनों की समय सीमा भी समाप्त होने वाली है। ऐसे में जेपी इंफ्राटेक को परिसमापन (लिक्यूडेशन) का समाना करना पड़ सकता है। जब तक की राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) आईबीसी के तहत अधिक समय की अनुमति नहीं देती। ऐसे में जय प्रकाश इंफ्राटेक लिमिटेड (जिल) का विलय जेपी एसोसिएट लिमिटेड (जल) में हो सकता है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 04 May 2019 09:48 PM (IST)Updated: Sun, 05 May 2019 06:25 AM (IST)
सीओसी ने सुरक्षा-एनबीसीसी के प्रस्ताव को किया खारिज, लिक्यूडेशन में जा सकती जेपी इंफ्रा
सीओसी ने सुरक्षा-एनबीसीसी के प्रस्ताव को किया खारिज, लिक्यूडेशन में जा सकती जेपी इंफ्रा

जागरण संवाददाता, नोएडा : कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (सीओसी) ने सुरक्षा रियलिटी-एनबीसीसी के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। छह मई को आइबीसी के तहत 270 दिनों की समय सीमा भी समाप्त होने वाली है। ऐसे में जेपी इंफ्राटेक को परिसमापन (लिक्यूडेशन) का सामना करना पड़ सकता है। जब तक राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) आइबीसी के तहत अधिक समय की अनुमति नहीं देती। ऐसे में जय प्रकाश इंफ्राटेक लिमिटेड (जिल) का विलय जेपी एसोसिएट लिमिटेड (जल) में हो सकता है।

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बता दें कि सीओसी की वोटिग में कुल 23,500 घर खरीदारों को वोट करना था, लेकिन इसमें से 14,632 घर खरीदारों ने वोटिग प्रक्रिया में हिस्सा ही नहीं लिया। यह वोटिग फीसद 34.62 रहा। जिसे सीओसी ने प्रस्ताव खारिज का आधार बनाया, जबकि सुरक्षा रियलिटी के पक्ष में महज 22.46 प्रतिशत यानी 8019 वोट पड़े, जबकि विपक्ष 2.19 घर खरीदारों ने वोट किया यानि महज 860 लोगों की शामिल रहे। ऐसे में सुरक्षा को बिड प्रक्रिया से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। इसी तरह 24 अप्रैल को एनबीसीसी के प्रस्ताव को भी सीओसी की ओर से खारिज कर दिया गया था।

शनिवार को सेक्टर-37 स्थित गोल्फ व्यू होटल में जेपी विश टाउन रेज्यूल्यूशन की ओर से प्रेसवार्ता का आयोजन हुआ। इसमें कृष्ण मित्रू सहित तमाम घर खरीदारों ने बताया कि दोनों बिल्डर बाहर होने के बाद अब सिर्फ जय प्रकाश एसोसिएट (जल) ही बचा है। छह मई को यदि एनसीएलटी समय सीमा को बढ़ाता है तो ठीक है अन्यथा जेपी इंफ्रा लिक्यूडेशन में चली जाएगी। विरोध में खरीदार हैं। यदि ऐसा हुआ तो घर मिलना और ज्यादा मुश्किल हो जाएगा, जबकि जिल और जल को मिलाकर कुल 27 परियोजनाओं का निर्माण जिले में होना है। जिनके करीब 32 हजार बायर्स है।

2007 में जिल ने बुकिग शुरू की थी। इन 32 हजार में से 5 हजार खरीदार प्लाट से संबंधित भी हैं। करीब 10 हजार घर खरीदारों को उनका आशियाना दिया जा चुका है। शेष करीब 22 हजार घर खरीदारों की मांग है कि उन्हें उनका आशियाना दिया जाए। वह घर खरीदार की 9ए एसोसिएशन के सदस्य है, लेकिन वह जिल के जल में विलय होने के समर्थन में है। जल ने जिल के प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए एक पूरी योजना तैयार की है। इस दौरान उन्होंने एनबीसीसी व जल का तुलनात्मक चार्ट प्रस्तुत किया। जिसके तहत जल ने कुल 13,290 करोड़ रुपये का बैंक हैंड बताया जबकि एनबीसीसी के पास 7450 करोड़ रुपये का प्लान था। जिसे सीओसी ने 24 अप्रैल को खारिज कर दिया था। घर खरीदारों की एसोसिएशन के बीच दो फाड़

जेपी बिल्डर के खिलाफ घर खरीदारों की लड़ाई अब फाड़ होती दिख रही है। घर खरीदारों का एक पक्ष जय प्रकाश इंफ्राटेक लिमिटेड के जय प्रकाश एसोसिएट में विलय के पक्ष में है, जबकि एक इससे इतर अपना पक्ष रख रहा है। इसमें अब तीन एसोसिएशन है। पहली 9 ए इसमें करीब 2800 घर खरीदारों के सदस्य है। यह वह एसोसिएशन है जो जिल को जल में विलय होने के विरोध में है। हाल ही में उन्होंने भी प्रेसवार्ता कर अपना इरादा स्पष्ट कर दिया है और आरोप लगाया है कि आईआरपी जिल और जल के साथ मिलकर काम कर रहा है। वह निष्पक्ष नहीं है। जबकि दूसरी एसोसिएशन चित्रा की है। जो इस समूह के लोगों को आशियाना नहीं, बल्कि जमा रकम वापस मांग रही है। इसको लेकर शीर्ष अदालत में संघर्ष कर रही है। शनिवार को तीसरी एसोसिएशन जेपी विश टाउन रेज्यूल्यूशन नाम की बनी। 24 घंटे पहले बनी इस एसोसिएशन के साथ 250 से ज्यादा घर खरीदार जुड़ चुके है।

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घर खरीदारों को जय प्रकाश एसोसिएट फिर से लुभा रहा

घर खरीदारों को एक बार फिर लुभाने के लिए जय प्रकाश गौड़ ने खुद एक बैठक अप्रैल को सेक्टर-62 में बुलाई थी। जिसमें उनको घर खरीदारों का विरोध झेलना पड़ा था।

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यह हैं जेपी इंफ्राटेक घर खरीदारों की स्थिति :

वर्ग संख्या

कुल घर खरीदार 32000

कुल प्लाट 5000

फ्लैट बने 10,000

कब्जा मिला 7000

सड़क पर संघर्ष 22000

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सुरक्षा रियलटी को किया गया खारिज

वर्ग संख्या फीसद

कुल वोट 23500 -----

सहमति वोट 8019 22.46

असहमति वोट 860 2.19

वोट नदारद 14632 34.62


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