जिला अस्पताल में सस्ते खाने और दवा को नहीं मिली जगह
सेक्टर-30 स्थित जिला अस्पताल में मध्यम वर्ग के लोगों के लिए सस्ते खाने के मॉडल को लागू किए जाने के लिए जगह नहीं मिल पाई है। जिसके चलते मरीजों और उनके तीमारदारों को कम कीमत में खाना, दवाई, कपड़े और मेडिकल जांच की सुविधाओं वाला मॉडल अब अधर में लटक गया है। जबकि खाने के इस सस्ते मॉडल को ट्रॉयल में सफल होने के बाद राष्ट्रपति की सहमति से पूरे देश में लागू किया जाना था।
जागरण संवाददाता, नोएडा: सेक्टर-30 स्थित जिला अस्पताल में मध्यम वर्ग के लोगों के लिए सस्ते खाने के मॉडल को लागू किए जाने के लिए जगह नहीं मिल पाई है। जिस कारण मरीजों और उनके तीमारदारों के लिए कम कीमत में खाना, दवाई, कपड़े और मेडिकल जांच की सुविधाओं वाला मॉडल अब अधर में लटक गया है।
दादी की रसोई के संचालक अनूप खन्ना ने बताया कि राष्ट्रपति के सचिव संजय कोठारी ने 7 सामाजिक संगठनों से पूरे देश में निम्न वर्ग के लोगों को कम कीमत में खाना, दवाई, कपड़े और मेडिकल टेस्ट को लेकर योजना बनाने के लिए विचार मांगे थे। जिसपर सभी ने अपनी-अपनी राय रखी थी। इसपर सचिव ने सभी संगठनों को इस माह के अंत तक अपने-अपने मॉडल तैयार करने का लक्ष्य दिया था। लेकिन जिला अस्पताल में ट्रॉयल के लिए लागू होने वाला दादी की रसोई का मॉडल अबतक शुरू नहीं हो पाया है। अनूप खन्ना ने बताया कि इस मॉडल को जिला अस्पताल में शुरू करने के लिए उन्होंने सीएमएस डॉ. अजेय अग्रवाल से परिसर में जगह उपलब्ध कराने की मांग की थी। लेकिन सीएमएस ने अस्पताल को चाइल्ड पीजीआई की प्रॉपर्टी बताते हुए उन्हें वहां के अधिकारियों के पास भेज दिया। यहां भी अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. शेखर यादव ने उन्हें इस मॉडल को शुरू करने के लिए कोई ठोस जवाब नहीं दिया। जगह नहीं मिलने के चलते यह मॉडल अबतक नहीं शुरू हो पाया है। अनूप खन्ना ने बताया कि इस संबंध में उन्होंने सचिव संजय कोठारी को अवगत करा दिया है। जिसपर उन्हें 16 जनवरी को एक बार फिर से राष्ट्रपति भवन बुलाया गया है।
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अस्पताल में मरीजों के लिए किसी भी प्रकार की सेवा को शुरू करने के लिए किसी को मना नहीं किया गया है। अगर कोई मरीजों के लिए कुछ करना चाहता है तो वे कर सकता है। उन्हें दोबारा मुझसे मिलना चाहिए। वे अस्पताल में उन्हें जगह उपलब्ध कराएंगे।
डॉ. अजेय अग्रवाल, सीएमएस, जिला अस्पताल
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इस मॉडल को जिला अस्पताल से शुरू करने का प्रयास किया गया था। लेकिन अस्पताल में जगह नहीं मिलने से इस मॉडल पर कोई काम शुरू नहीं हो पाया है। अगर हमें अस्पताल में जगह उपलब्ध कराई जाए तो हम मॉडल को शुरू कर सकेंगे।
अनूप खन्ना, संचालक, दादी की रसोई