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अधूरी कार्ययोजना के साथ बिल्डर कंपनियों ने दिया प्रस्तुतीकरण

फोटो 18 एनओबी 14 -दोनों इमारतों के ध्वस्तीकरण की कार्ययोजना को पांच बिदुओं पर तैयार क

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Oct 2021 08:42 PM (IST)Updated: Mon, 18 Oct 2021 08:42 PM (IST)
अधूरी कार्ययोजना के साथ बिल्डर कंपनियों ने दिया प्रस्तुतीकरण
अधूरी कार्ययोजना के साथ बिल्डर कंपनियों ने दिया प्रस्तुतीकरण

फोटो 18 एनओबी 14

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-दोनों इमारतों के ध्वस्तीकरण की कार्ययोजना को पांच बिदुओं पर तैयार करना होगा, सोमवार को फिर से होगा प्रस्तुतीकरण

जागरण संवाददाता, नोएडा :

सुरपटेक एमराल्ड कोर्ट के दोनों टावर एपेक्स सियान को ध्वस्त करने के लिए आधी-अधूरी कार्ययोजना के साथ बिल्डर की चयनित दो कंपनियों ने सोमवार को नोएडा प्राधिकरण कार्यालय पर वर्चुअल प्रस्तुतीकरण दिया, जिसे केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान एवं नियोजन विभाग प्राधिकरण ने खारिज कर दिया। अगले सोमवार तक पांच बिदुओं पर पूरी कार्ययोजना के साथ प्रस्तुतीकरण का आदेश दिया। इसके बाद सीबीआरआइ की तकनीकी टीम प्रस्तुत कार्ययोजना का अध्ययन कर आगे की रणनीति पर चर्चा करेगी। इसके बाद ध्वस्तीकरण का निर्णय लिया जाएगा। इस कार्ययोजना में बिल्डर की स्वयं की सोसायटी समेत आसपास की अन्य सोसायटी का बीमा की जानकारी भी होनी चाहिए। यह भी कहा कि ध्वस्तीकरण मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एक एक दिन महत्वपूर्ण समय निकल रहा है। ऐसे में जल्द से जल्द पूरी कार्ययोजना प्रस्तुत कर आगे की कार्रवाई को अंजाम दिया जाए। बिल्डर अन्य कंपनियों से भी संपर्क करे, जो इस मामले पर विशेषज्ञता हासिल कर चुके है।

सूत्रों का कहना है कि यहां पर दोनों टावर को ध्वस्त ही नहीं किया जाना है, बल्कि उससे होने वाले साइड इफेक्ट को भी कार्ययोजना में शामिल किया जाना है। ताकि ध्वस्तीकरण के दौरान यदि कही चूक होती है तो उसकी भरपाई की जा सके। इसके लिए कई और बिदुओं को सुझाया गया। इसमें सबसे अधिक महत्वपूर्ण प्रदूषण है, शहर में ग्रेप लागू है। ध्वस्तीकरण से पहले कंपनी को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एनओसी लेनी होगी। यह प्रक्रिया तभी संभव है जब गठित समिति की और से कार्ययोजना को हरी झंडी दे दी जाए। दूसरा बिदु यातायात है। ध्वस्तीकरण के दौरान कौन-कौन सी सड़क को बंद किया जाना है, कितनी देर तक यातायात का डायवर्जन किया जाएगा। ध्वस्तीकरण के बाद कितना मलबा एकत्र होगा, कहां-कहां तक इसका गुबार जाएगा। इसका समयबद्ध प्लान भी देना होगा। ताकि यातायात व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से बातचीत की जा सके। तीसरा ध्वस्तीकरण के दौरान आसपास की इमारतों को नुकसान हुआ तो उसकी भरपाई कौन करेगा। आसपास की इमारतों का इंश्योरेंस कराना। कितने टावरों को इस प्रकरण के लिए खाली करना होगा, साथ ही इन इमारतों का स्ट्रक्चरल डिजाइन। यह इसलिए कि देखा जा सके कि यह इमारत कितना वाइब्रेशन झेल सकती है। गिराया जाने वाला टावर का बेसमेंट कही एक तो नहीं है, यदि है तो उसको अलग-अलग किया जाए। इन सभी बिदुओं को लेकर कंपनी को कार्ययोजना प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था लेकिन आधी अधूरी तैयारी होने से उसे एक सप्ताह का और समय दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त को निर्देश दिया था कि तीन माह में दोनों इमारतों का ध्वस्त किया जाए। इसकी समय सीमा 30 नवंबर को पूरी होने जा रही है। ऐसे में जल्द ही कार्ययोजना तैयार कर प्राधिकरण को कार्रवाई को अंजाम देना है।


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