बाइक बोट घोटाले में दर्ज पहली एफआईआर में बढ़ी एक और धारा
बाइक बोट घोटाला प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के पास पहुंचते ही मामले में तेजी आनी शुरू हो गई है। पुलिस ने इस मामले में दर्ज हुई पहली एफआइआर में एक और धारा 409 बढ़ा दी है। जिसके तहत घोटाले के आरोपितों को दस साल तक की सजा का प्रावधान है। धारा बढ़ाने के साथ ही पुलिस ने कागजी कार्रवाई मजबूत कर दी है। मामले में जल्द और भी गिरफ्तारियां हो सकती है। मामले में कुल 46 मुकदमें दादरी कोतवाली में दर्ज है। ज्ञात हो कि बाइक बोट घोटाले मामले में प्रर्वतन निदेशालय लखनऊ ने पीड़ित निवेशकों को नोटिस भेजकर लखनऊ स्थित विभाग के सहायक निदेशक को अपने दस्तावेजों के साथ
राजीव वशिष्ठ, दादरी : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के पास पहुंचते ही बाइक बोट घोटाले मामले में तेजी आनी शुरू हो गई है। पुलिस ने इस मामले में दर्ज हुई पहली एफआइआर में धारा 409 बढ़ा दी है। जिसके तहत घोटाले के आरोपितों को दस साल तक की सजा का प्रावधान है। मामले में जल्द और भी गिरफ्तारियां हो सकती है। मामले में कुल 46 मुकदमें दादरी कोतवाली में दर्ज है।
ज्ञात हो कि बाइक बोट घोटाले मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने पीड़ित निवेशकों को नोटिस भेजकर लखनऊ स्थित विभाग के सहायक निदेशक को अपने दस्तावेजों के साथ बयान दर्ज करने के लिए बुलाया था। बाइक बोट घोटाले में पहली एफआइआर दर्ज कराने वाले राजस्थान निवासी सुनील कुमार मीणा ने फोन पर दैनिक जागरण को घोटाले से जुड़ी जानकारी देते हुए बताया कि सूरजपुर स्थित एसएसपी कार्यालय में दर्ज हुई एफआइआर में पहले 420, 406, 120, 467 व 471 धाराएं थी। अब इसमें एक धारा 409 को भी बढ़ा दिया गया है। एफआइआर में देरी के कारणों को भी ईडी ने संज्ञान में लिया है। ईडी द्वारा पूछताछ में उन्होंने बताया कि 20 जनवरी को एसएसपी कार्यालय में मामले की शिकायत की थी। एसएसपी ने दादरी कोतवाली को एफआइआर दर्ज कराने के आदेश दिए थे। बीस दिन बाद दादरी कोतवाली में मामला दर्ज किया गया। उन्होंने बताया कि पीड़ित ने जब एसएसपी से शिकायत की थी, उस समय तक बाइक बोट कंपनी के बैंक खाते में काफी रकम जमा थी, लेकिन एफआइआर दर्ज होने वाले दिन तक कंपनी के खाते खाली हो गए थे, इस बात को भी ईडी ने संज्ञान लिया है। वहीं, पुलिस ने बताया कि बाइक बोट मामले में एक और धारा 409 बढ़ाई गई है। साक्ष्यों के आधार पर मामले में कार्रवाई की जा रही है।
खंगाली जाएगी कॉल डिटेल : सुनील ने बताया कि ईडी द्वारा पीड़ितों की ओर से शिकायत करने व मामला दर्ज होने के बीच के समय में घोटाले की जांच करने वाले पुलिस अधिकारियों व बाइक बोट कंपनी के निदेशकों बीच हुई बात को जांचने के लिए उनके फोन नंबरों को खंगाला जा सकता है।