डॉक्टरों ने गिनाई इलाज में एनेस्थीसिया की जरूरत
सेक्टर-30 स्थित सुपर स्पेशलिस्ट पीडियाट्रिक हॉस्पिटल एंड पोस्ट ग्रेजुएट टीचिग (चाइल्ड पीजीआइ) में बुधवार को विश्व एनेस्थीसिया दिवस पर बाल रोग में अल्ट्रासाउंड निर्देशित तंत्रिका ब्लॉक विषय पर कार्यशाला का आयोजन होगा। देश-विदेश के 100 से अधिक एनेस्थिसियॉलॉजिस्ट (बेहोशी के डॉक्टरों) ने अपने अनुभवों को साझा किया।
जागरण संवाददाता, नोएडा :
सेक्टर-30 स्थित सुपर स्पेशलिस्ट पीडियाट्रिक हॉस्पिटल एंड पोस्ट ग्रेजुएट टीचिग इंस्टीट्यूट (चाइल्ड पीजीआइ) में बुधवार को विश्व एनेस्थीसिया दिवस पर बाल रोग में अल्ट्रासाउंड निर्देशित तंत्रिका ब्लॉक विषय पर कार्यशाला का आयोजन होगा। इस दौरान देश-विदेश के 100 से अधिक एनेस्थिस्ट ने अपने अनुभवों को साझा किया।
कार्यक्रम संयोजक डॉ. मुकुल कुमार जैन ने कहा कि किसी भी सर्जरी में जितना महत्व सर्जन डॉक्टर का होता है, उतना ही एनेस्थिस्ट का। सर्जरी के पहले एनेस्थिस्ट की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है। चेकअप के दौरान मरीज अनफिट हैं, तो सर्जरी होना मुश्किल होती है। लेकिन आधुनिकता के दौर में एनेस्थीसिया के क्षेत्र में काफी बदलाव आया है। जहां 10 से 15 साल पहले तक सर्जरी के बाद मरीज को होश आने में एक दिन लग जाता था। लेकिन अब मरीज सर्जरी के बाद ऑपरेशन थियेटर से बात करते हुए बाहर निकलता है। कार्यक्रम की सचिव डॉ. पूनम मोतियानी ने कहा पहले न तो आधुनिक मशीनें थीं, न ही इतनी सुविधाएं। एनेस्थीसिया के क्षेत्र में काफी बदलाव हुए हैं। इलाज में विश्व स्तरीय उपयोग की मशीनें और तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। जो मरीज के लिए बिल्कुल सुरक्षित है। निदेशक डॉ. डीके गुप्ता ने कहा कि निश्चेतना विशेषज्ञ का कार्य सिर्फ एनेस्थीसिया देना नहीं होता। बल्कि उसे आइसीयू विशेषज्ञ, पेन विशेषज्ञ, जीवन रक्षक ट्रेनर की सेवाओं की जिम्मेदारी भी निभानी पड़ती है। ऑपरेशन के दौरान व उसके बाद निश्चेतना देना साहसिक कार्य है। यह नॉन सर्जिकल प्रोसीजर जैसे हार्ट की जांच, सीटी स्कैन, एमआरआइ व एंडोस्कोपी में भी महत्वपूर्ण भूमिका निर्वाह करते हैं। इस मौके पर जिम्स निदेशक डॉ. ब्रिग्रेडियर राकेश कुमार गुप्ता, डॉ. ज्योत्सना मदन, डॉ अतुल गौड़, डॉ. प्रशांत कुमार, डॉ. नीता राधाकृष्णन मौजूद रहीं।