कामगारों के लिए अफोर्डेबल रेंटल हाउसिग कॉम्प्लेक्स
कामगारों को कम किराये पर रहने के लिए छत उपलब्ध कराने को शासन ने अफोर्डेबल रेंटल हाउसिग कॉम्प्लेक्स (एआरएचसी) योजना-2020 का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। इसमें तीन मॉडल दिए गए हैं। जिसमें शासन ने स्पष्ट किया है कि विकास प्राधिकरणों के अलावा व्यक्ति विशेष उद्यमी शैक्षणिक संस्था और अन्य निजी संस्थाएं एआरएचसी का निर्माण करती हैं तो उन्हें विकास शुल्क में 50 फीसद तक की छूट दी जाएगी। निश्शुल्क अतिरिक्त तल क्षेत्र (एफएआर) का लाभ दिया जाएगा। किराये को लेकर स्पष्ट किया है कि विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष की अध्यक्षता में गठित कमेटी प्रस्तावित किराये पर अंतिम निर्णय लेगी। शासन ने इस ड्राफ्ट पर गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) से सुझाव मांगे हैं। सुझावों को देखने के बाद योजना का अंतिम प्रारूप तैयार किया जाएगा।
एक्सक्लूसिव
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- शासन ने अफोर्डेबल रेंटल हाउसिग कॉम्प्लेक्स योजना का ड्राफ्ट भेज जीडीए से मांगे सुझाव
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आशीष गुप्ता, गाजियाबाद :
कामगारों को कम किराये पर रहने के लिए छत उपलब्ध कराने को शासन ने अफोर्डेबल रेंटल हाउसिग कॉम्प्लेक्स (एआरएचसी) योजना-2020 का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। इसमें तीन मॉडल दिए गए हैं। इसमें शासन ने स्पष्ट किया है कि विकास प्राधिकरणों के अलावा व्यक्ति विशेष, उद्यमी, शैक्षणिक संस्था और अन्य निजी संस्थाएं एआरएचसी का निर्माण करती हैं तो उन्हें विकास शुल्क में 50 फीसद तक की छूट दी जाएगी। निश्शुल्क अतिरिक्त तल क्षेत्र (एफएआर) का लाभ दिया जाएगा। किराये को लेकर स्पष्ट किया है कि विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष की अध्यक्षता में गठित कमेटी प्रस्तावित किराये पर अंतिम निर्णय लेगी। शासन ने इस ड्राफ्ट पर गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) से सुझाव मांगे हैं। सुझावों को देखने के बाद योजना का अंतिम प्रारूप तैयार किया जाएगा।
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ये हैं तीन मॉडल
मॉडल-1 : विकास प्राधिकरण और आवास विकास परिषद अपने अनावंटित, अनिस्तारित और अलोकप्रिय फ्लैट व मकानों को अफोर्डेबल रेंटल हाउसिग कॉम्प्लेक्स में तब्दील कर सकती है
मॉडल-2 : व्यक्ति विशेष, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की एजेंसियां 500 वर्ग मीटर और उससे अधिक भूमि पर अफोर्डेबल रेंटल हाउसिग कॉम्प्लेक्स बना सकती हैं। जिसमें एक कमरे के कई फ्लैट और डोरमेट्री का निर्माण किया जा सकता है।
मॉडल-3 : निर्माण, औद्योगि इकाई, शैक्षणकि संस्थाएं, सार्वजनिक उपक्रम और अभिकरण अपने कामगारों को रेंट पर देने के लिए एक कमरे का फ्लैट और डोरमेट्री बनाई जा सकती है।
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ये लाभ मिलेंगे
मॉडल-2 के तहत अफोर्डेबल रेंटल हाउसिग कॉम्प्लेक्स बनाने के लिए भूखंड कम से कम नौ मीटर चौड़े मार्ग पर होना जरूरी है। कॉम्प्लेक्स बनाने के लिए शासन निर्धारित डेढ़ एफएआर के अतिरिक्त 50 फीसद एफएआर निश्शुल्क देगा। मॉडल-3 के तहत निश्शुल्क भू-उपयोग परिवर्तन किया जाएगा। दोनों ही मॉडलों में विकास शुल्क में 50 फीसद की छूट दी जाएगी। इसके अलावा सिगल विडो के तहत प्रोजेक्ट को स्वीकृति दी जाएगी। सभी मॉडलों में बिल्ड ऑपरेट ट्रांसफर पॉलिसी के तहत अफोर्डेबल रेंटल हाउसिग कॉम्प्लेक्स को संचालित करने के लिए निजी एजेंसी को 30 वर्ष तक के लिए जिम्मेदारी दी जा सकती है। निजी विकासकर्ता के पास प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए फंड कम होता है तो सरकारी कमी दूर करेगी। उदाहरण के तौर पर 50 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट को बनाने के लिए विकासकर्ता के पास 40 करोड़ रुपये हैं तो बाकी दस करोड़ रुपये की व्यवस्था केंद्र और राज्य सरकार 50-50 प्रतिशत आधार पर करेगी।
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ये हैं शर्तें
- किराये पर देने के लिए आवेदक की आय तीन लाख रुपये से अधिक नहीं होगी
- साइकिल पार्किंग बनाना अनिवार्य होगा, प्रति 10 वर्ग मीटर कारपेट एरिया पर दो वर्ग मीटर की साइकिल पार्किंग बनेगी
- एक कमरे के फ्लैट का न्यूनतम क्षेत्रफल 30 वर्ग मीटर होगा
- डोरमेट्री का साइज न्यूनतम 50 वर्ग मीटर होगा
----- शासन ने अफोर्डेबल रेंटल हाउसिग कॉम्प्लेक्स योजना का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। उस पर सुझाव मांगे गए हैं। इसी सप्ताह सुझाव दे दिए जाएंगे। फिर शासन योजना का अंतिम प्रारूप तैयार करेगा।
- आशीष शिवपुरी, सीएटीपी, जीडीए