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पीठासीन अधिकारी पद से महिलाओं की छुट्टी

लोकसभा चुनाव के लिए शिक्षिकाओं और महिला कर्मचारियों को पीठासीन अधिकारी नहीं बनाया गया है। मतदान शुरू होने से ईवीएम मशीन जमा करने तक पीठासीन अधिकारी की जिम्मेदारी होती है। देर रात में महिलाओं को परेशानी न हो इसके चलते उन्हें ड्यूटी से मुक्त रखा गया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Mar 2019 11:22 PM (IST)Updated: Wed, 20 Mar 2019 11:22 PM (IST)
पीठासीन अधिकारी पद से महिलाओं की छुट्टी

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरनगर:

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लोकसभा चुनाव के लिए शिक्षिकाओं और महिला कर्मचारियों को पीठासीन अधिकारी नहीं बनाया गया है। मतदान शुरू होने से ईवीएम मशीन जमा करने तक पीठासीन अधिकारी की जिम्मेदारी होती है। देर रात में महिलाओं को परेशानी न हो, इसके चलते उन्हें ड्यूटी से मुक्त रखा गया है। लोकसभा चुनाव में विधानसभा चुनाव के मुकाबले 348 मतदेय स्थल और 1392 कर्मचारी बढ़ाए गए हैं।

लोकसभा चुनाव को प्रशासनिक तैयारी तेज हो गई है। अधिकारियों और कर्मचारियों को ड्यूटी दे दी गई है। 22 मार्च से प्रशिक्षण शुरू हो रहा है। लोकसभा चुनाव शांतिपूर्ण कराने के लिए आठ हजार से अधिक अधिकारी और कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। फिलहाल जो कर्मचारी अवकाश पर चल रहे हैं उनकी भी ड्यूटी लगाई गई है। प्रशिक्षण सभी के लिए अनिवार्य किया गया है। जनपद की छह विधानसभाओं में 915 मतदान केंद्रों चुनाव होगा, जबकि मतदेय स्थल 2167 बनाए गए हैं। मतदेय स्थल विधानसभा चुनाव के मुकाबले 348 अधिक हैं। इसी के चलते 1392 कर्मचारियों को की ड्यूटी बढ़ गई है।

सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की ड्यूटी लगा दी गई है। महिलाओं को पीठासीन अधिकारी से मुक्त रखा गया है। दरअसल, पीठासीन अधिकारी का दायित्व काफी अहम होता है। मतदान शुरू कराने से लेकर ईवीएम वीवीपैट जमा करने तक की जिम्मेदारी पीठासीन अधिकारी की होती है। देर रात्रि तक पीठासीन अधिकारी ईवीएम को जमा कराते हैं। इसी के चलते महिलाओं को इस दायित्व से दूर रखा गया है। हालांकि कुछ महिलाओं ने इसका विरोध किया है। उनका कहना है कि जब महिलाएं निर्वाचन अधिकारी, सेक्टर और स्टेटिक मजिस्ट्रेट बन सकती हैं तो पीठासीन अधिकारी क्यों नहीं? यह महिला अधिकारों का हनन है। शिक्षिका शिवांगी का कहना है कि उन्हें प्रथम अधिकारी बनाया गया है, जबकि उनके विद्यालय के बाबू को पीठासीन अधिकारी बनाया गया है। इससे असहज स्थिति पैदा हो गई है। साउथ सिविल लाइन निवासी शिक्षिका शैलजा सिंह का कहना है कि उन्हें द्वितीय अधिकारी की ड्यूटी दी गई, जबकि शिक्षकों को पीठासीन अधिकारी बनाया गया है।

एडीएम प्रशासन अमित सिंह का कहना है कि महिलाओं को परेशानी न हो इसके चलते उन्हें पीठासीन अधिकारी से मुक्त रखा गया है। उन्हें प्रथम और द्वितीय अधिकारी बनाया गया है। पीठासीन अधिकारी की ड्यूटी देर रात तक होती है।

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प्रधानाचार्यो की लगी ड्यूटी

विधानसभा चुनाव में इंटर कॉलेजों के प्रधानाचार्यो की चुनावी ड्यूटी नहीं लगी थी। उन्होंने शैक्षणिक कार्य प्रभावित होना बताया था। इस बार सभी प्रधानाचार्यों की ड्यूटी लगाई गई हैं। पुरुष प्रधानाचार्यों को पीठासीन और महिला प्रधानाचार्यों को प्रथम अधिकारी बनाया गया है।


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