देशभक्ति का खून, सीमा पर जाने का जुनून
तीसरी पीढ़ी सेना में कर रही सेवा पति युद्ध में हुए थे घायल। मोरना ब्लाक के भेडाहेड़ी गांव का यादव परिवार बना मिसाल
मुजफ्फरनगर (रोहिताश्व कुमार वर्मा): कुछ लोगों की रगों में देशभक्ति का खून दौड़ता है। ऐसा ही एक परिवार यादव बहुल भेडाहेड़ी गांव में है। इस परिवार की तीन पीढि़यां सेना में भर्ती होकर देशसेवा कर रही हैं। वर्ष 1965 में भारत-पाकिस्तान के प्रथम युद्ध में दुश्मन से लोहा लेते हुए हुकुम सिंह गोली लगने से घायल हो गए थे। सेना ने उन्हें सेवानिवृत्ति देकर घर भेज दिया था, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। अपने दो बेटों को भी सेना में भेज दिया। अब उनका पोता भी मातृ भूमि की रक्षा करने के लिए जम्मू-कश्मीर में सरहद पर डटा है।
विकासखंड मोरना क्षेत्र के यादव बहुल गांव भेडाहेड़ी निवासी वयोवृद्ध मूर्ति देवी बताती हैं कि उनके पति हुकुम सिंह सेना में हवलदार थे, जो वर्ष 1965 में भारत-पाकिस्तान के प्रथम युद्ध में मातृभूमि की रक्षा करते समय दुश्मन से लोहा लेते हुए पैर में गोली लगने से घायल हो गए थे। वर्ष 1989 में बड़ा बेटा कंवरपाल सेना में भर्ती हो गया। दूसरा बेटा अमित कुमार भी हाईस्कूल करने के बाद 1996 में सेना में भर्ती हो गया। वर्ष 2000 में उसके पति हुकुम सिंह का निधन हो गया। उसका पोता अंकुर यादव भी वर्ष 2013 में सेना में भर्ती हो गया। कंवरपाल व अमित कुमार सेवानिवृत हो चुके हैं। वह आज भी देश के लिए मर मिटने का जज्बा रखते हैं। विवाह होते ही चला गया सरहद
वयोवृद्ध मूर्ति देवी बताती हैं कि उसके पोते अंकुर का विवाह बीते 25 जनवरी को ही मेरठ जिले के कस्बा मवाना निवासी आरती से हुआ है और दस फरवरी को वह अपनी ड्यूटी के लिए चंडीगढ़ चला गया था, जहां से उसे जम्मू-कश्मीर भेज दिया गया था।