वतन के हवाले कर दी दो पीढि़यां
बेटे के रिटायर्ड होने पर दो पोतों को सरहद पर भेजा। बचे पिता से सुनते थे जवानों की बहादुरी के किस्से।
मुजफ्फरनगर (रोहिताश्व कुमार वर्मा) : देशभक्ति का जज्बा भगवान सहाय के परिवार में कूट-कूट कर भरा है। बेटे के फौज से रिटायर होने के बाद उन्होंने अपने दो पोतों को भी मातृभूमि की रक्षा करने के लिए सरहद पर भेज दिया है। पाकिस्तान द्वारा भारतीय पायलट को बंदी बनाने से क्षुब्ध भगवान सहाय कहते हैं कि आतंकियों की वजह से देश के अनगिनत वीर जवानों ने देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी है, लेकिन अब लोग आतंकियों का सफाया चाहते हैं।
खतौली ब्लाक के गांव खानपुर निवासी भगवान सहाय का बड़ा बेटा सुधीश कुमार 29 मई 1987 को सेना में भर्ती हुआ था। 18 साल तक देश सेवा करने के बाद वह अगस्त 2005 में हवलदार पद से रिटायर्ड होकर घर आ गए। जिसके बाद घर में आए दिन फौज के जवानों की बहादुरी के किस्से सुनाई देने लगे। भारत-पाकिस्तान की सीमा पर दुनिया के सबसे ऊंचे रणक्षेत्र बर्फीले सियाचीन ग्लेशियर में सरहद की रक्षा करने वाले सेना के बहादुर जवानों के बारे में सुनकर परिवार के लोगों में देशसेवा का जज्बा बढ़ता चला गया।वर्ष 2013 में इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण करते ही उसका बड़ा पोता आशीष तोमर भी सीमा सुरक्षा बल में भर्ती हो गया। इन दिनों उसकी तैनाती गुजरात के कच्छ में चल रही है। वर्ष 2017 में हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण करते ही उसका दूसरा पोता मनीष चौधरी भी सेना में भर्ती हो गया और इन दिनों उसकी तैनाती अरुणाचल प्रदेश में चीन के बार्डर पर चल रही है। तीसरा पोता भी बनना चाहता है फौजी
व्योवृद्ध भगवान सहाय बताते हैं कि उनका तीसरा पोता गौतम आर्य लाला जगदीश प्रसाद इंटर कॉलेज में कक्षा 12वीं में पढ़ रहा है और वह भी फौज में जाना चाहता है।