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पाबंदियों के बीच खुली रोजी-रोटी की राह

मुजफ्फरनगर दिलशाद सैफी। कोरोनाकाल में हर तरफ पाबंदियां हैं। शासन-प्रशासन जनमानस के बचाव को लेकर कड़े कदम उठा रहे हैं। इससे लोगों के रोजगार पर विपरीत असर पड़ा है। मुसीबतों के बीच में रोजी-रोटी कमाने की किरण भी फूटी है। स्वास्थ्य विभाग ने मरीजों को राहत देने के साथ लोगों को रोजगार का रास्ता बनाया है। ई-रिक्शा मोबाइल स्वास्थ्य सेवा के जरिए संक्रमितों को उपचार के साथ निर्धनों को रोजगार मिल रहा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 05 May 2021 10:30 PM (IST)Updated: Wed, 05 May 2021 10:30 PM (IST)
पाबंदियों के बीच खुली रोजी-रोटी की राह

मुजफ्फरनगर, दिलशाद सैफी।

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कोरोनाकाल में हर तरफ पाबंदियां हैं। शासन-प्रशासन जनमानस के बचाव को लेकर कड़े कदम उठा रहे हैं। इससे लोगों के रोजगार पर विपरीत असर पड़ा है। मुसीबतों के बीच में रोजी-रोटी कमाने की किरण भी फूटी है। स्वास्थ्य विभाग ने मरीजों को राहत देने के साथ लोगों को रोजगार का रास्ता बनाया है। ई-रिक्शा मोबाइल स्वास्थ्य सेवा के जरिए संक्रमितों को उपचार के साथ निर्धनों को रोजगार मिल रहा है।

सेवा विस्तार से घूमेगा रोजगार का पहिया

खतौली ब्लाक क्षेत्र के नगर व देहात में करीब 200 कोरोना संक्रमित होम आइसोलेट हैं। इनके उपचार और देखभाल का जिम्मा स्वास्थ्य विभाग का है। दवाइयों की किट देने के साथ उनका हालचाल जानने लिए टीम लगाई गई है। नगर क्षेत्र में अभी पांच ई-रिक्शा मोबाइल स्वास्थ्य सेवा हैं, जबकि देहात क्षेत्रों के लिए 15 ई-रिक्शा चालू किए गए हैं। एक ई-रिक्शा चालक को प्रतिदिन में 500 रुपये मेहनताना दिया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग इस सेवा का विस्तार करते हुए नगर में 10 और देहात में 27 ई-रिक्शा संचालित करने की तैयारी में है। इससे गरीबों को जीवन-यापन में सहारा मिल रहा है।

ऐसे होता है काम

ई-रिक्शा मोबाइल स्वास्थ्य सेवा के जरिए संक्रमितों की पूर्ण देखभाल के अलावा उनके स्वजन की जानकारी ली जा रही है। संक्रमित व्यक्ति के अन्य पारिवारिक सदस्यों में कोविड के लक्षण दिखने पर उसे तत्काल दवाओं की किट दी जाती है। हालत बिगड़ने पर मोबाइल सेवा सीएचसी और कंट्रोल रूम को जानकारी देती है, जिससे उसे तुरंत उपचार दिया जाता है।

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ई-रिक्शा मोबाइल स्वास्थ्य सेवा के माध्यम से आशा संगिनी संक्रमितों के घर विजिट कर रही हैं। उन्हें दवाइयां देने के साथ स्वास्थ्य चेकअप किया जाता है। नगर व देहात में ई-रिक्शा संचालन से लोगों को रोजगार मिला है, जबकि संक्रमितों का उपचार करने में मदद भी मिली है।

- डा. पुष्पेंद्र कुमार, चिकित्सा प्रभारी, सीएचसी।

ई-रिक्शा मोबाइल सेवा से संक्रमितों, उनके तीमारदारों के बारे में बेहतर जानकारी मिल पा रही है। ई-रिक्शा संचालकों को भी रोजगार मिला है।

- इंद्राकांत द्विवेदी, एसडीएम खतौली।


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