निधीश राज में जलती रही कोरोना से बचाव की ज्योति
लाकडाउन लागू होते ही लोगों में कोरोना का भय कायम हो गया था लेकिन शहर में कोरोना से बचाव के लिए जागरूकता की ज्योति जलाने में कुछ प्रमुख समाजसेवियों ने अपनी अग्रणी भूमिका अदा की। इन्हीं में शामिल रहे शहर के नई मंडी निवासी निधीश राज गर्ग जिन्होंने लाकडाउन में लोगों को कोरोना से बचाव के प्रति जागरूक किया ही साथ ही मास्क और सैनिटाइजर बांटकर लोगों को बचाने के भरपूर प्रयास किए। उन्होंने अपनी संस्था के माध्यम से जरूरतमंदों तक भोजन और सूखा राशन भी पहुंचाया।
जेएनएन, मुजफ्फरनगर। लाकडाउन लागू होते ही लोगों में कोरोना का भय कायम हो गया था, लेकिन शहर में कोरोना से बचाव के लिए जागरूकता की ज्योति जलाने में कुछ प्रमुख समाजसेवियों ने अपनी अग्रणी भूमिका अदा की। इन्हीं में शामिल रहे शहर के नई मंडी निवासी निधीश राज गर्ग, जिन्होंने लाकडाउन में लोगों को कोरोना से बचाव के प्रति जागरूक किया ही साथ ही मास्क और सैनिटाइजर बांटकर लोगों को बचाने के भरपूर प्रयास किए। उन्होंने अपनी संस्था के माध्यम से जरूरतमंदों तक भोजन और सूखा राशन भी पहुंचाया।
मार्च में लाकडाउन लगने के बाद प्रतिदिन खाने-कमाने वाले लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट आ गया था। उस समय उदय वेलफेयर सोसायटी के संस्थापक निधीश राज गर्ग ने ऐसे लोगों की मदद के लिए हाथ बढ़ाए। उन्होंने अपनी संस्था से जुड़े कमलकांत गोयल, संदीप सिघल आदि को साथ लेकर पहले लोगों में बढ़ रहा कोरोना का भय खत्म करने पर काम किया। इसके साथ उन्होंने शुरुआती समय में मास्क और सैनिटाजर पुलिस और प्रशासन के कर्मचारियों को वितरित कर काम करने का मनोबल बढ़ाया। मास्क और सैनिटाइजर उस समय वितरित किए गए, जब शहर में मास्क की कालाबाजारी और सैनिटाइजर की किल्लत चल रही थी। ऐसे में सड़कों पर काम करने वाली पुलिसकर्मियों के लिए सैनिटाइजर खुद की सुरक्षा का बड़ा हथियार था। निधीश राज ने लाकडाउन में कोरोना का डर खत्म कर सीएमओ को भी उनके कर्मचारियों के लिए सैनिटाइजर भेंट किए और कोरोनाकाल में घर से बाहर निकलकर लोगों की सेवा करते हुए अपने जिम्मेदार नागरिक होने का परिचय दिया।
जरूरतमंदों तक पहुंचाए खाने के पैकेट
निधीश राज गर्ग ने बताया कि लोगों को जागरूक करने के साथ उनकी संस्था के सदस्यों ने उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया। दोपहर और शाम के समय खाने के पैकेट सड़कों पर मिलने वाले लोगों को बांटकर उनकी पेट की भूख शांत की गई। इसके साथ ही उन्होंने प्रशासन के साथ मिलकर आटा, दाल, चावल आदि राशन सामग्री के सूखे पैकेट बनाकर घर-घर तक पहुंचवाए।