कोरोना मरीजों की ड्यूटी में लगे चिकित्सकों का हंगामा
अपना छात्रावास छोड़ दूसरे छात्रावास में साथियों से मिलने जाने पर एमबीबीएस के तीन छात्रों को निलंबन और जुर्माना लगाने के विरोध में मुजफ्फरनगर मेडिकल कालेज में शुक्रवार को जमकर हंगामा हुआ।
मुजफ्फरनगर, जेएनएन। अपना छात्रावास छोड़ दूसरे छात्रावास में साथियों से मिलने जाने पर एमबीबीएस के तीन छात्रों को निलंबन और जुर्माना लगाने के विरोध में मुजफ्फरनगर मेडिकल कालेज में शुक्रवार को जमकर हंगामा हुआ। छात्रों के समर्थन में कोरोना संक्रमितों के इलाज में लगे पीजी चिकित्सक भी आंदोलन में कूद पड़े। उन्होंने धरना देकर ड्यूटी न करने की चेतावनी दी। इससे प्रशासन में हड़कंप मच गया। देरशाम प्रशासनिक अधिकारियों की मध्यस्थता में छात्रा, चिकित्सकों व कालेज के प्राचार्य व सीएमएस के बीच वार्ता हुई, जिसमें कार्रवाई को वापस लेने के लिए प्रबंध कमेटी को अवगत कराने और एक सप्ताह में निर्णय लेने का भरोसा दिलाया गया। इसके बाद आंदोलन स्थगित कर दिया गया।
बेगराजपुर स्थित मुजफ्फरनगर मेडिकल कालेज के एमबीबीएस प्रथम वर्ष के तीन छात्रों को गत 10 मई को कालेज प्रशासन ने अपना छात्रावास छोड़कर दूसरे छात्रावास में साथियों से मिलने जाने पर एक महीने के लिए निलंबित कर 25-25 हजार रुपये जुर्माना लगाया था। इसे लेकर कुछ छात्र कालेज के प्रधानाचार्य डा. सुरेंद्र सिंह से भी मिले थे। छात्रों के अनुसार उन्हें निलंबन और जुर्माना वापस लेने का आश्वासन मिला था। गुरुवार को उक्त छात्रों को छात्रावास खाली करने को कहा गया। देर रात्रि उन्होंने अपने साथियों के साथ कालेज गेट पर हंगामा शुरू कर दिया। पुलिस ने छात्रों को समझाकर शांत कराया। शुक्रवार दोपहर मेडिकल कालेज के पीजी चिकित्सक उक्त छात्रों के समर्थन में आ गए और कालेज गेट पर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने एडीएम ई को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में तीनों छात्रों का निलंबन वापस लेने, 25-25 हजार का जुर्माना समाप्त करने की मांग की गई। शाम को एडीएम प्रशासन अमित कुमार व एसडीएम इंद्रकांत द्विवेदी की मध्यस्थता में छात्रों, चिकित्सकों और प्राचार्य व सीएमएस के बीच वार्ता हुई। चिकित्सकों ने छात्रों पर कार्रवाई को उत्पीड़न करार दिया और इसे वापस लेने की मांग की। चिकित्सकों ने कोविड 19 के मरीजों के वार्ड में ड्यूटी न करने की चेतावनी दी।
एसडीएम इंद्रकांत द्विवेदी ने बताया कि छात्रों के साथ न्याय होने का भरोसा दिया गया। छात्रों से अपनी बात लिखकर देने को कहा गया। मामला प्रबंध कमेटी में रखा जाएगा। कमेटी एक सप्ताह में निर्णय लेगी। इसके बाद छात्रों व चिकित्सकों ने आंदोलन स्थगित कर दिया।