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काम नहीं आया दोनों टीकों का कवच

बूस्टर डोज लगवाने के बाद भी कोरोना वायरस संक्रमण घेर रहा है। जिला अस्पताल के डेंटल सर्जन डा. संजय भी टीके की दोनों डोज लगने के बावजूद संक्रमित हुए थे उपचार के दौरान उनकी मौत हुई जबकि जिला अस्पताल के कई इमरजेंसी मेडिकल अफसरों सहित शहर के नामचीन चिकित्सक भी दोनों डोज लगवाने के बावजूद संक्रमित हुए। इनमें अधिकतर अभी भी आइसोलेट हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 06 May 2021 11:44 PM (IST)Updated: Thu, 06 May 2021 11:44 PM (IST)
काम नहीं आया दोनों टीकों का कवच

जेएनएन, मुजफ्फरनगर। बूस्टर डोज लगवाने के बाद भी कोरोना वायरस संक्रमण घेर रहा है। जिला अस्पताल के डेंटल सर्जन डा. संजय भी टीके की दोनों डोज लगने के बावजूद संक्रमित हुए थे, उपचार के दौरान उनकी मौत हुई, जबकि जिला अस्पताल के कई इमरजेंसी मेडिकल अफसरों सहित शहर के नामचीन चिकित्सक भी दोनों डोज लगवाने के बावजूद संक्रमित हुए। इनमें अधिकतर अभी भी आइसोलेट हैं। तीन ईएमओ, वरिष्ठ फिजीशियन पाजिटिव

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संक्रमण शुरू होने के बाद कोरोनारोधी टीके की मांग बढ़ी थी। देश के वैज्ञानिकों ने अथक प्रयास के बाद टीका विकसित भी कर दिया था। 15 जनवरी से चिकित्सकों तथा पैरा मेडिकल स्टाफ का टीकाकरण शुरू हो गया था। शुरुआती दौर में ही जिला अस्पताल के चिकित्सकों सहित ईएमओ का टीकाकरण किया गया। यहां तक की सभी को टीके की दूसरी डोज भी लग चुकी है, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से दोनों डोज लगवाने वाले जिला अस्पताल के तीन ईएमओ एंव एक डेंटल सर्जन भी पाजिटिव पाए गए, जबकि एक एनस्थेटिस्ट भी इसी लाइन में हैं। यहां तक की जिले के एक नामचीन फिजीशियन भी दोनों डोज लगवाने के बावजूद पाजिटिव आए और इस समय होम आइसोलेट हैं। जिला अस्पताल के दंत रोग विभाग के चिकित्सक डा. संजय की तो संक्रमण के चलते मेरठ के न्यूटिमा हास्पिटल में मौत भी हो चुकी है। वह भी टीके की दोनों डोज लगवा चुके थे। दोनों डोज लगने के बाद घट जाता है खतरा

मुजफ्फरनगर मेडिकल कालेज के माइक्रो बायोलाजिस्ट डा. अतुल कुमार का कहना है कि कोरोना का वायरस लगातार स्वरूप बदल रहा है। देश के वैज्ञानिकों ने काफी कम समय में वैक्सीन तैयार की है। इसलिए प्राकृतिक तौर से वैक्सीन की मारक क्षमता 100 प्रतिशत नहीं है। शायद यही कारण है कि टीके की दोनों डोज लगने के बाद भी संक्रमण हो जाता है, लेकिन उस स्थिति में वायरस की भयावहता कम हो जाती है। इन्होंने कहा.

दोनों डोज लगने पर शरीर में एंटी बाडी बनने में लगभग एक माह का समय लगता है। उसके बाद ही शरीर में एंटी बाडी वायरस से लड़ने में सक्षम हो पाती है। इस दौरान नाक तथा गले में वायरस रहता है तो जांच करने पर रिपोर्ट में संक्रमण पाया जा सकता है।

- डा. वीके सिंह, एसीएमओ


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