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सोशल मीडिया-छात्रों के बीच सेतु की भूमिका निभाएं शिक्षक

शिक्षक की गोद में राष्ट्र का भविष्य पलता व बढ़ता है जिसके द्वारा शिक्षित किए गए बच्चे राष्ट्र के भावी नागिरक वैज्ञानिक प्रशासनिक अधिकारी न्यायविद नेता चिकित्सक समाजसेवी सैनिक बनते हैं। राष्ट्र के प्रति सभी नागरिकों को उत्तरदायित्व निभाना चाहिए लेकिन शिक्षक के कंधों पर यह भार अधिक होता है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 30 Oct 2019 10:08 PM (IST)Updated: Thu, 31 Oct 2019 06:28 AM (IST)
सोशल मीडिया-छात्रों के बीच सेतु की भूमिका निभाएं शिक्षक

मुजफ्फरनगर, जेएनएन। शिक्षक की गोद में राष्ट्र का भविष्य पलता व बढ़ता है, जिसके द्वारा शिक्षित किए गए बच्चे राष्ट्र के भावी नागरिक, वैज्ञानिक, प्रशासनिक अधिकारी, न्यायविद, नेता, चिकित्सक, समाजसेवी, सैनिक बनते हैं। राष्ट्र के प्रति सभी नागरिकों को उत्तरदायित्व निभाना चाहिए, लेकिन शिक्षक के कंधों पर यह भार अधिक होता है। विद्यार्थियों को राष्ट्र के सम्मान व उत्तरदायित्वों का बोध कराकर उन्हें एक अच्छा नागरिक बनाना शिक्षक का धर्म है। स्वामी विवेकानंद का मानना था कि भारत में ऐसी शिक्षा व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे समाज के चरित्र का निर्माण हो, मन की शक्ति में वृद्धि हो और बुद्धि का विस्तार हो, व्यक्ति अपने पैरों पर खड़ा होकर आत्मस्वावलंबी बन सके। वास्तव में किसी समाज की अभिलाषा, आकांक्षा, आवश्यकता, अपेक्षा और आदर्शों को सफल बनाने का कार्य शिक्षक ही कर सकता है। भारतीय समाज में जहां शिक्षा को शरीर, मन और आत्मा के विकास का साधन माना गया है। शिक्षक का दायित्व है कि वह विद्यार्थियों को राष्ट्र के प्रति उत्तरदायित्व के विषय में बोध कराए। वहीं राष्ट्र को स्वच्छ व सुंदर बनाने में सभी को सहयोग करना चाहिए। देश की ऐतिहासिक विरासत व पर्यटन स्थलों को गंदा व नष्ट नहीं करना चाहिए। अच्छा कार्य किया जाता है तो परिवार, समाज, विभाग में उसका विरोध भी होता है कई प्रकार के प्रश्न उठाये जाते हैं। यहां तक कि कई बार अपमानित भी होना पड़ता है, लेकिन जो लोग अपने लक्ष्य पर बढ़ते हुए पीछे की ओर मुड़कर नहीं देखते, उनके सामने एक ऐसा समय भी आता है कि विरोध और अपमान करने वाले व्यक्ति ही सम्मान करते नजर आते हैं। बच्चों को देश की महान विभूतियों जैसे महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, स्वामी विवेकानंद, सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, लाल बहादुर शास्त्री, सरदार वल्लभभाई पटेल आदि के जीवन आदर्शों के बारे में बताना चाहिए। इन सब के साथ ही बच्चों को आधुनिक शिक्षा का पाठ भी पढ़ाया जाना जरूरी है। सोशल मीडिया के उपयोग के बारे में बच्चों को पता होना चाहिए। फेसबुक, वाट्सएप का सही इस्तेमाल कैसे करें? इसके बारे में शिक्षकों को जानकारी देने की जरूरत है। इनके माध्यम से काफी चीजें आसान हो जाती हैं। वाट्सएप का उपयोग कई कठिन चीजों को आसान कर देता है। जरूरत है इसके उपयोग करने की, न कि दुरुपयोग की। बच्चे भी सोशल मीडिया का महत्व समझें और सकारात्मक सोच के साथ आविष्कार को बढ़ावा देने में प्रयोग करें। संचार के इस सशक्त माध्यम से जुड़कर अपने और समाजहित में कार्य करें।

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- अखलाक अहमद, प्रधानाध्यापक (राज्य शिक्षक पुरस्कार से पुरस्कृत)

प्राथमिक विद्यालय बघरा, मुजफ्फरनगर।


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