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कॉलेज में मूंछ-लंगड़ा, जरायम में आया तो प्रधानजी

मुजफ्फरनगर सुशील मूंछ के बारे में यह बात बहुत ही कम लोग जानते हैं कि जाट कॉलेज में पढ

By JagranEdited By: Published: Sun, 31 Mar 2019 12:09 AM (IST)Updated: Sun, 31 Mar 2019 06:25 AM (IST)
कॉलेज में मूंछ-लंगड़ा, जरायम में आया तो प्रधानजी
कॉलेज में मूंछ-लंगड़ा, जरायम में आया तो प्रधानजी

मुजफ्फरनगर : सुशील मूंछ के बारे में यह बात बहुत ही कम लोग जानते हैं कि जाट कॉलेज में पढ़ाई के दौरान सुशील नाम के दो छात्र थे। अपनी अलग पहचान बनाने के लिए बदमाश सुशील उस समय लंबी मूंछे रखने लगा। इसलिए उसका नाम मूंछ पड़ गया था। वहीं, सुशील मूंछ पर सुरेंद्र कूकड़ा, शोभाराम यादव व उदयवीर कैल ने हमला कर दिया था। तब सुशील का साथी इंद्रपाल मारा गया और सुशील के पैर में गोली लग गई थी। तभी उसका नाम लगड़ा पड़ा। मथेड़ी गाव में प्रधानी का चुनाव लड़ने के कारण उसे प्रधानजी भी कहते हैं।

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सुशील मूंछ उत्तर प्रदेश का वो सरगना था, जिसके नाम से बड़े से बड़ा अफसर भी कांपता था। हालात यह थे कि किसी व्यक्ति ने अफसर के सामने सुशील मूंछ का नाम लेकर अपने काम के बारे में कहा तो वह काम मिनटों में हो गया। उस पर उस समय एक लाख का इनाम था। साल 2012 में एसटीएफ की टीम ने सुशील के खौफ का बाजार खत्म कर दिया था। लग्जरी गाड़ियों का शौकीन है

छह साल पहले जयपुर में सुशील पकड़ा गया था तब एसटीएफ के एसपी ने बताया था कि सुशील मूंछ लग्जरी गाड़ियों के शौकीन है। वह अक्सर ही लंबी कारों में होंडा सिटी, टोयोटा कोरोला, एसयूवी, इंडोवर, जायलो और छोटी कारों में पोलो, जैज आदि कारों में वह चलता था। पुलिस विभाग में थे सबसे अधिक मुखबिर

बताया जाता है कि सुशील मूंछ का पुलिस विभाग में भी खासा नेटवर्क है। बड़ा सरगना होने के बावजूद पु िलस के पास सुशील का फोटो तक नहीं था। फोटो के नाम पर बस एक धुंधला सा फोटो पुलिस विभाग जारी किया करता था। ऐसा कहते हैं कि सुशील ने साल 2008 में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड से बाहर अपना पैर जमाने लगा था। साल 2008 में सुशील मूंछ ने जयपुर में ठिकाना बनाया था। वहा उसने मालवी नगर और वैशाली में दूसरे व्यक्तियों के नाम से मकान खरीद रखे थे। ऐसा कहा जाता था कि वह ऑस्ट्रेलिया और बैंकॉक से अपना सरगना चलाता था, जबकि वह यही रहकर और छिपकर सारा कारोबार करता था।


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