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श्रीकृष्ण जीवन और संस्कृति के प्राण : ओमांनद

तीर्थ नगरी शुकतीर्थ स्थित शुकदेव आश्रम में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व श्रद्धा व भक्ति से मनाया गया। प्राचीन अक्षय वट वृक्ष और शुकदेव मंदिर में पूजन के बाद बांके बिहारी का आचार्यो पुरोहितों ने जन्मोत्सव मनाया। मंत्रोच्चारण और भजनों के द्वारा गोविद की महिमा सुनाई गई।

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Aug 2020 11:58 PM (IST)Updated: Thu, 13 Aug 2020 06:09 AM (IST)
श्रीकृष्ण जीवन और संस्कृति के प्राण : ओमांनद

मुजफ्फरनगर, जेएनएन। तीर्थ नगरी शुकतीर्थ स्थित शुकदेव आश्रम में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व श्रद्धा व भक्ति से मनाया गया। प्राचीन अक्षय वट वृक्ष और शुकदेव मंदिर में पूजन के बाद बांके बिहारी का आचार्यो, पुरोहितों ने जन्मोत्सव मनाया। मंत्रोच्चारण और भजनों के द्वारा गोविद की महिमा सुनाई गई।

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पीठाधीश्वर स्वामी ओमानंद महाराज ने कहा कि भारत की दैवीय संस्कृति है जहां भगवान राम और कृष्ण का अवतरण हुआ। बंशीधर 64 विधाओं तथा 16 कलाओं में परिपूर्ण हैं, वह भारतीय जीवन और संस्कृति के प्राण हैं। कन्हैया जन-मानस में किसी न किसी रूप में रचे-बसे हैं। जन्माष्टमी पर्व पर भगवान श्रीकृष्ण जीवन आदर्शो से प्रेरणा लेनी चाहिए। आचार्य ज्ञान प्रसाद, ग्रीस चंद उप्रेती, भागवत प्रवक्ता राम स्नेही आदि मौजूद रहे। हनुमद्धाम, दंडी आश्रम, महाशक्ति सिद्ध पीठ, पांडवकालीन मां पार्वती धाम आदि में भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व श्रद्धा से मनाया गया। इसके अलावा गांव ककरौली में एसडी पब्लिक स्कूल की प्रबंधक विजया राठी के नेतृत्व में श्रीकृष्ण पर्व पर विशेष झांकी सजाई गई, जिसे देखने के लिए बच्चों का तांता लगा रहा। गांव छछरौली में चौधरी नरेंद्र राठी के सहयोग से श्रीकृष्ण की झांकी सजाई गई, जिसकी भक्तों पूजा-अर्चना की।


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