सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाए तरुवर की छाया, चार भाई और श्रीराम की चौपाई
वर्तमान में उज्जैन (म.प्र.) में रह रही मुजफ्फरनगर के शर्मा बंधुओं की यह जोड़ी श्रीराम चरितमानस की चौपाइयों को संगीत के मंच से विश्वभर में प्रचारित कर रही है।
सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाए तरुवर की छाया...
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है, मैं जब से शरण तेरी आया...
मुजफ्फरनगर, [कपिल कुमार]। यह गीत 1970 के दशक में लिखा और गाया गया था। इसका गायन व संगीत भगवान श्रीराम को साक्षात दर्शाने जैसा है। मुजफ्फरनगर निवासी शर्मा बंधुओं की जोड़ी ने इस गीत को संगीत की लड़ी में ऐसा पिरोया कि सुनने वाला रामभक्ति में डूब जाता है। वर्तमान में उज्जैन (म.प्र.) में रह रही शर्मा बंधुओं की यह जोड़ी श्रीराम चरितमानस की चौपाइयों को संगीत के मंच से विश्वभर में प्रचारित कर रही है।
एक हजार से अधिक गीतों को दे चुके आवाज
सिसौली निवासी पं. रामानंद शर्मा संगीत, भजन के साथ रामकथा में परिपूर्ण थे। 1907 से फिल्मों में संगीत, अभिनय किया। मन रामभक्ति में रमा था, इसलिए अभिनय छोड़कर वर्ष 1930 में रामकथा, चौपाइयों को संगीत में ढालना शुरू किया। पिता के बाद चारों भाई पंडित गोपाल शर्मा (82), शुकदेव शर्मा (76), कौशलेंद्र शर्मा (71) और राघवेंद्र शर्मा (64) की जोड़ी मिलकर श्रीरामचरितमानस, चौपाइयों को संगीत के मंच से दुनियाभर में रोशन कर रहे हैं। अब तक एक हजार से अधिक गीतों, चौपाइयों को अपनी आवाज दे चुके हैं।
चारों भाई ग्रेजुएट
पंडित गोपाल शर्मा डीएवी कॉलेज से बीएससी हैं, जबकि अन्य तीनों भाई एसडी कॉलेज से ग्रेजुएट। पंडित राघवेंद्र बताते हैं कि संगीत, साहित्य की कला पिता से सीखी है। विरासत में मिली कला को आगे बढ़ा रहे हैं। बताते हैं कि पिता रामानंद सिसौली छोड़कर शहर के द्वारिकापुरी में बस गए थे। द्वारिकापुरी में करीब 45 वर्ष तक लगातार दो घंटे श्रीराम कथा का अखंड पाठ होता था। यहीं से रामचरितमानस को संगीत में पिरोने का का सिलसिला शुरू हुआ।
श्रीराम की वापसी का गीत किया रिकॉर्ड
पंडित राघवेंद्र कहते हैं-पिछले वर्ष अयोध्या में श्रीराम की वापसी, राजतिलक को लेकर नया एलबम रिकॉर्ड किया है। इसकी रिलीज के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से समय मांगा है। इस अलबम में श्रीराम के आदशरें को सुरों में ढाला गया है। शर्मा बंधुओं की तीसरी पीढ़ी ने भी कदम आगे बढ़ा दिया है। चारों का एक-एक पुत्र इस कला को सीख रहे हैं।