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पानीपत-खटीमा बाईपास में मुआवजे का खेल, मुकदमा दर्ज

जानसठ (मुजफ्फरनगर) : पानीपत-खटीमा राजमार्ग के राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित होने के बाद जमीनों के

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 Jan 2019 10:00 PM (IST)Updated: Tue, 22 Jan 2019 10:00 PM (IST)
पानीपत-खटीमा बाईपास में मुआवजे का खेल, मुकदमा दर्ज

जानसठ (मुजफ्फरनगर) : पानीपत-खटीमा राजमार्ग के राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित होने के बाद जमीनों के मुआवजे का खेल शुरू हो गया है। कुछ लोगों ने अभी से सस्ते में जमीनें खरीदकर सरकार से कई गुना मुआवजा पाने की तैयारी कर ली है। सांसद और विधायक ने हाईवे का सर्वे करने वाली कंपनी और जमीन खरीदने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है।

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पानीपत-खटीमा राजमार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग 709 एडी घोषित करने के बाद इसका गजट प्रकाशित किया गया, जिसमें मार्ग को बघरा, सिखेड़ा व जानसठ के बीच से होना दर्शाया गया है। गजट के अनुसार लोगों से आपत्तियां मांगी गई। इसी बीच एनएचएआइ की वेबसाइट पर तीनों जगह बाईपास बनाने का नक्शा अपलोड कर दिया गया, जबकि इसके लिए कोई गजट प्रकाशित नहीं हुआ। केवल जानसठ में ही बाईपास निकलने की जगह के आसपास एकाएक करीब 30 बैनामे किए गए। कई गुना मुआवजा पाने के लिए कुछ बाहरी लोगों ने यहां जमीनें खरीद लीं। नियमों को ताक पर रखकर आनन-फानन में आवासीय दर्ज करा लिया। मुआवजे के इस खेल की भनक लगते ही सांसद डॉ. संजीव बालियान और विधायक विक्रम सैनी ने तहसील अधिकारियों की क्लास लगाई। एडीएम अमित कुमार को दो दिन में मामले की जांच के लिए कहा। सांसद व विधायक ने मामले में तहरीर देकर हाईवे का सर्वे करने वाली कंपनी व जमीन खरीद कर अवैध तरीके से मुआवजा लेने की साजिश करने के आरोपितों के खिलाफ धारा 420 व 120बी के तहत मंगलवार को मुकदमा दर्ज करा दिया।

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किन नंबरों में हुआ खेल

एनएचएआइ की वेबसाइट पर बाईपास बनने के लिए जानसठ, तालड़ा, वाजिदपुर कवाली, सालारपुर आदि गांवों के रकबे को लिया गया है। इन नंबरों का कोई गजट भी प्रकाशित नहीं हुआ है, लेकिन वह आम लोगों के पास मौजूद है। जानसठ के खसरा नंबर 231, 283 को कुछ दिन पहले राजस्थान के जयपुर निवासी यशपाल पुत्र रणवीर ने खरीदा, जिसकी दाखिल-खारिज 24 दिसंबर को की गई। इन नंबरों को 14 जनवरी को आवासीय घोषित कर दिया गया। यह दोनों नंबर वेबसाइट पर दिखाए गए बाईपास के नंबरों में ही हैं। इसी तरह से दिल्ली निवासी धर्मपाल पुत्र बिशंबर के तालड़ा गांव के खाता नंबर 769 को भी पांच जनवरी को आवासीय घोषित किया गया है। यह नंबर भी बाईपास का है। इसके अतिरिक्त बाईपास में आने वाले करीब 20 नंबरों को आवासीय घोषित करने के लिए निर्धारित फीस जमा की गई है।

क्या कहता है नियम

तहसील अधिकारियों के मुताबिक कृषि भूमि को आवासीय घोषित करने के लिए उसकी चारदीवारी के साथ-साथ उस पर आवासीय मकान भी बनने जरूरी होते हैं, लेकिन यदि आवासीय घोषित करने के बाद उस पर कोई कृषि करता हुआ पाया जाता है तो उसकी आवासीय घोषणा रद की जा सकती है।

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इनका कहना है..

मैं पंद्रह दिन से छुट्टी पर था, मुझे मामले की जानकारी नहीं है। एसडीएम विजय कुमार लखनऊ ट्रे¨नग पर गए हुए हैं, वह दो दिन बाद लौटेंगे।

- पुष्करनाथ चौधरी, तहसीलदार जानसठ।


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