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चीन के छुड़ाए थे छक्के, पाक की पोस्ट पर फहराया था तिरंगा

(मुजफ्फरनगर) मातृभूमि पर दुश्मनों ने जब-जब हमला किया है मां भारती के वीर सपूतों ने मुंहतोड़ जवाब दिया है। चीन की सेना से लोहा लेने के साथ पाकिस्तान को पस्त किया है। मोरना क्षेत्र के गांव भोकरहेड़ी छछरौली के बेटों ने मातृभूमि की रक्षा के लिए दुश्मनों से लोहा लिया था।

By JagranEdited By: Published: Sat, 10 Aug 2019 11:08 PM (IST)Updated: Sun, 11 Aug 2019 06:25 AM (IST)
चीन के छुड़ाए थे छक्के, पाक की पोस्ट पर फहराया था तिरंगा
चीन के छुड़ाए थे छक्के, पाक की पोस्ट पर फहराया था तिरंगा

मुजफ्फरनगर, जेएनएन। मातृभूमि पर दुश्मनों ने जब-जब हमला किया है, मां भारती के वीर सपूतों ने मुंहतोड़ जवाब दिया है। चीन की सेना से लोहा लेने के साथ ही पाकिस्तान को भी पस्त किया है। मोरना क्षेत्र के गांव भोकरहेड़ी, छछरौली के बेटों ने मातृभूमि की रक्षा के लिए दुश्मनों से लोहा लिया था।

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गांव छछरौली निवासी किसान हरज्ञान सिंह के बेटे हरिप्रकाश चौहान वर्ष 1960 में बंगाल इंजीनियरिग रुड़की में भर्ती हुए थे। वर्ष 1960 से लेकर 1982 तक उन्होंने देशसेवा की है। वर्ष 1962 में चीन से हुए युद्ध में उन्होंने बारूद बिछाने और बारूद फोड़ने की कमान संभाली थी। हरिप्रकाश बताते हैं कि उस वक्त इशारा मिलते ही भारतीय फौज चीनी सेना पर टूट पड़ी थी। पहाड़ियों और सुरंगों के जरिए दुश्मनों को निशाना बनाया गया था। कई दिनों तक चले युद्ध में चीन ने भारत का लोहा माना था। कई जवान वीरता की अमिट कहानी लिखते हुए जंग में शहीद हुए। उनके दो साथी साधु सिंह और कृष्ण पाल सिंह को दुश्मनों ने गिरफ्तार कर लिया था, जो एक माह बाद दुश्मनों को चकमा देकर उनकी कैद से छूटकर भाग आए थे। वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में उनकी बटालियन ने पठानकोट में रावी नदी पर पुल बनाकर नदी पार कर पाक सैनिकों को रोकने के लिए जमीन में माइंस बिछाने में भूमिका अदा की और दुश्मनों पर भारी पड़े। बारूद बिछाने में कई जवान जख्मी भी हो गए थे। उन्होंने कहा कि वर्तमान में भारतीय सेना किसी भी मुल्क की सेना को हराने में सक्षम है। पाक की दो पोस्ट पर

कर लिया था कब्जा

भोपा क्षेत्र के कस्बा भोकरहेड़ी निवासी किसान सुखवीर सिंह के बेटे मांगेराम वर्ष 1970 में बरेली में भारतीय सेना की जाट रेजीमेंट में भर्ती हुए थे। एक साल बाद ही भारत और पाकिस्तान के बीच जंग का ऐलान हो गया। तीन दिसंबर 1971 को कर्नल कुलदीप सिंह के निर्देशन में 11वीं जाट रेजिमेंट जम्मू-कश्मीर के नौसेरा शहर के कालसिया बार्डर पहुंची और पाकिस्तान की फौज का डटकर मुकाबला कर दुश्मन की दो पोस्ट टेकड़ी व गोभी पर तिरंगा फहरा दिया। नागालैंड की पहाड़ियों पर उनके ट्रक पलटने से वह घायल हो गए थे, जिसके बाद वह 1981 में वह सेवानिवृत्त हो गए थे। पत्नी विमला देवी, बेटी सविता, बबीता और बेटे भीष्म को उन पर नाज है कि उन्होंने भारत-पाक के युद्ध में दुश्मनों के छक्के छुड़ाए थे।


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