इंस्पेक्टर सहित 16 पुलिसकर्मियों को राहत
एससी-एसटी अधिनियम में संशोधन के विरोध में हुए उपद्रव के दौरान मारे गए युवक की हत्या के आरोप में तत्कालीन नई मंडी कोतवाली प्रभारी निरीक्षक सहित 16 पुलिसकर्मियों के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए दायर याचिका को विशेष एससी-एसटी कोर्ट ने खारिज कर दिया। तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक हरशरण शर्मा सहित एसएसआइ व पांच दारोगा सहित 16 पुलिसकर्मियों को राहत मिली है।
जेएनएन, मुजफ्फरनगर। एससी-एसटी अधिनियम में संशोधन के विरोध में हुए उपद्रव के दौरान मारे गए युवक की हत्या के आरोप में तत्कालीन नई मंडी कोतवाली प्रभारी निरीक्षक सहित 16 पुलिसकर्मियों के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए दायर याचिका को विशेष एससी-एसटी कोर्ट ने खारिज कर दिया। तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक हरशरण शर्मा सहित एसएसआइ व पांच दारोगा सहित 16 पुलिसकर्मियों को राहत मिली है।
दो अप्रैल 2018 को एससी-एसटी अधिनियम में संशोधन के विरोध में भारत बंद का आह्वान किया गया था। हंगामे व उपद्रव के दौरान गांव गादला थाना भोपा निवासी अमरेश पुत्र सुरेश की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। नई मंडी कोतवाली पुलिस ने अमरेश के अज्ञात हत्यारे के विरुद्ध स्वयं ही मुकदमा दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी थी। अमरेश के पिता सुरेश ने तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक नई मंडी कोतवाली हरशरण शर्मा समेत 16 पुलिसकर्मियों के विरुद्ध नई मंडी थाने में हत्या की तहरीर दी थी। एफआइआर दर्ज न होने पर करीब डेढ़ वर्ष पूर्व सुरेश ने अपने अधिवक्ता मन्नान बालियान के माध्यम से विशेष न्यायाधीश अनुसूचित जाति/ जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम-1989 कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर आरोपित पुलिसकर्मियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने का आदेश देने की गुहार लगाई थी। कोर्ट ने इस मामले में नई मंडी थाना पुलिस से आख्या तलब की थी, जिसमें संबंधित हत्याकांड में मुकदमा दर्ज कर विवेचना के दौरान हत्यारोपित के रूप में रामशरण पुत्र अतर सिंह निवासी मेघाखेड़ी के प्रकाश में आने की बात कहते हुए कोर्ट में उसके विरुद्ध चार्जशीट दाखिल करने की बात कही थी। हत्याकांड में रामशरण को सुनाई जा चुकी सजा : अमरेश हत्याकांड में पुलिस ने रामशरण पुत्र अतर सिंह निवासी मेघाखेड़ी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। उससे पुलिस ने आला-ए-कत्ल 32 बोर का पिस्टल भी बरामद किया था। अपर सत्र न्यायाधीश ओमवीर सिंह कोर्ट संख्या-13 ने 25 सितंबर 2020 को रामशरण को सात वर्ष की सजा सुनाई थी।