मुजफ्फरनगर तक चलाई जाए रैपिड रेल
दिल्ली-मेरठ रीजनल रेपिड ट्रांसजिट सिस्टम (आरआरटीएस) के तहत रैपिड ट्रेन दिल्ली से दौराला तक आएगी जिसकी कुल लंबाई
जेएनएन, मुजफ्फरनगर : दिल्ली-मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांसजिट सिस्टम (आरआरटीएस) के तहत रैपिड ट्रेन दिल्ली से दौराला तक आएगी, जिसकी कुल लंबाई 82 किमी है। केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ. संजीव बालियान, राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल, राज्यमंत्री विजय कश्यप समेत विधायक व भाजपा नेता लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनके कार्यालय में मिले। उन्होंने कहा कि रैपिड रेल मुजफ्फरनगर तक चलाई जाए, जिसके लिए 35 किमी की दूरी और बढ़ाई जाए।
गुरुवार को केंद्रीय पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य राज्यमंत्री डा. संजीव बालियान, व्यावसयिक शिक्षा एवं कौशल विकास राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल, राज्यमंत्री विजय कश्यप समेत खतौली विधायक विक्रम सैनी, पुरकाजी विधायक प्रमोद ऊटवाल और बुढ़ाना विधायक उमेश मलिक समेत भाजपा पदाधिकारी मुख्यमंत्री से मिले। डॉ. संजीव बालियान ने सीएम से कहा कि दिल्ली-मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांसजिट सिस्टम, जिसकी लंबाई 82 किमी हैं। इस मार्ग में रैपिड ट्रेन के 16 स्टेशन बनने प्रस्तावित है, जिसका आखिरी स्टेशन मेरठ के कस्बा दौराला में है। उन्होंने कहा कि इस आरआरटीएस के साथ 103 किलो लंबा दिल्ली-पानीपत आरआरटीएस और 164 लंबा दिल्ली अलवर आरआरटीएस के निर्माण का कार्य भी प्रगति पर है। हाल ही में हरियाणा सरकार ने दिल्ली-पानीपत आरआरटीएस को करनाल तक विस्तार देने की स्वीकृति दी है। इसके चलते इसकी लंबाई 103 से 135 किमी करना प्रस्तावित किया गया है। इसी तर्ज पर मुजफ्फरनगर में भी विस्तार किया जा सकता है। वैसे भी मुजफ्फरनगर एनसीआर की श्रेणी में सूचीबद्ध है। दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस का आखिरी स्टेशन मुजफ्फरनगर से मात्र 35 किमी दूर है। मांग की कि रैपिड टेन का आखिरी स्टेशन मुजफ्फरनगर में बने। इसके लिए मार्ग को 35 किमी और बढ़ाया जाए। इससे जनपद के लोगों का आर्थिक और सामाजिक विकास होगा। प्रतिदिन व्यापारिक गतिविधियों और नौकरी के लिए गाजियाबाद व दिल्ली जाने वाले यात्रियों को लाभ मिलेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस बारे में मंत्रियों और विधायकों को सकारात्मक आश्वासन दिया है।
मोरना मिल की बढ़ाई जाए पेराई क्षमता
वरिष्ठ भाजपा नेता अमित राठी ने मुख्यमंत्री से मांग की कि सहकारी शुगर मिल मोरना की पेराई क्षमता बढ़ाई जाए। उन्होंने कहा कि जनपद में एक मात्र सहकारी मिल है और पेराई क्षमता सबसे कम है। ऐसे में किसानों को गन्ने या तो दूसरे मिलों में पहुंचाना पड़ता है अन्यथा औने-पौने दामों पर कोल्हुओं में डालना पड़ता है। पर्ची के लिए हर साल मारामारी रहती है। पेराई क्षमता बढ़ने से क्षेत्र के किसानों को बड़ा लाभ होगा। क्षमता बढ़ने से युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।