जनसहभागिता से होगा प्रदूषण का सफाया
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) बढ़ते वायु प्रदूषण पर गंभीर है। विशेष रूप से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए सख्ती बरती जा रही है। नवंबर माह से फरवरी तक मौसम ठंडा रहता है तथा हवा में नमी होने से धूल धुआं के साथ सल्फर डाइआक्साइड कार्बन मोनोआक्साइड अमोनिया ओजोन नाइट्रोजन डाइआक्साइड का मिश्रण बनने से वायु सेहत के लिए खतरनाक हो जाती है। वायु प्रदूषण रोकने के लिए क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नगर पालिका एमडीए और एआरटीओ विभाग को संयुक्त रूप से ग्रेडेड रिस्पांस प्लान पर प्रभावी रूप से कार्य करना होगा।
मुजफ्फरनगर, जेएनएन। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) बढ़ते वायु प्रदूषण पर गंभीर है। विशेष रूप से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए सख्ती बरती जा रही है। नवंबर माह से फरवरी तक मौसम ठंडा रहता है तथा हवा में नमी होने से धूल, धुआं के साथ सल्फर डाइआक्साइड, कार्बन मोनोआक्साइड, अमोनिया, ओजोन, नाइट्रोजन डाइआक्साइड का मिश्रण बनने से वायु सेहत के लिए खतरनाक हो जाती है। वायु प्रदूषण रोकने के लिए क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, नगर पालिका, एमडीए और एआरटीओ विभाग को संयुक्त रूप से ग्रेडेड रिस्पांस प्लान पर प्रभावी रूप से कार्य करना होगा।
बोले पर्यावरण प्रहरी
पुराने वाहनों पर लगाम लगाया जाना जरूरी है। वाहन एजेंसियों के साथ परिवहन विभाग को भी इसके लिए कड़े कदम उठाने पड़ेंगे। औद्योगिक इकाइयों और वाहनों से निकलने वाला धुआं सबसे अधिक घातक होता है। इनका संचालन बंद होना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति को एक पौधा लगाने और उसकी देखरेख का संकल्प भी लेना होगा। तभी पर्यावरण में शुद्ध वायु की मात्रा बढ़ेगी।
-अमित सिंह, सचिव, दीया सामाजिक संस्था।
जिस तरह से व्यक्ति अपने घर की साफ-सफाई रखता है, उसकी प्रकार वातावरण के लिए करना होगा। कूड़ा, पालीथिन जलाने पर रोक लगानी होगी। आम व्यक्ति जब तक किसी मुहिम का हिस्सा नहीं बनता है, वह सफल नहीं होती है। अब नहीं संभले तो भविष्य में अधिक खतरनाक हालात सामने आएंगे।
-सूबेदार रणधीर, समाजसेवी।
पर्यावरण को शुद्ध बनाने के लिए जागरूकता बढ़ानी होगी। धुआं, ध्वनि आदि के प्रभाव को कम करना होगा। पौधारोपण हर संस्था, कार्यालय और विभाग में अनिवार्य करने की जरूरत है। वायु प्रदूषण का प्रभाव मनुष्य के साथ जीव-जंतुओं पर भी पड़ता है। पालीथिन, प्लास्टिक, रबर के साथ कूड़ा जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में आमजन को बताया जाए।
-प्रमोद चौधरी, अध्यक्ष, युवा विकास केंद्र
नेशनल हाईवे बनाने में जितने पेड़-पौधे काटे जाते हैं, उतने लगाए नहीं जाते। लगातार वृक्षों, वनों का कटान होने से पर्यावरण में दूषित गैसों का प्रभाव बढ़ रहा है। वाहनों, औद्योगिक इकाइयों का विषैला धुआं वायु प्रदूषण में वृद्धि करता है। हमें वाहनों का इस्तेमाल कम करना होगा। हरियाली का दायरा मानक अनुसार रखना होगा तभी बढ़ते प्रदूषण पर लगाम लगाई जा सकेगी।
-संजीव मलिक, जिला सचिव, भारत ज्ञान-विज्ञान समिति।