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आंदोलनों में हो रही सियासत.. काश जिदा होते बाबा टिकैत

संजीव तोमर मुजफ्फरनगर संसद से गांव के गली-कूचों तक किसान की बदहाली का शोर सुनाई दे रहा है। किसान की इस स्थिति के लिए राजनैतिक दल एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। कृषि विधेयक को लेकर खूब सियासी रोटियां सेकी जा रही हैं लेकिन चौ. महेंद्र सिंह टिकैत जैसा नेतृत्व अब दिखाई नहीं देता। अनेकों आंदोलनों को याद कर अन्नदाता कह रहे हैं कि काश बाबा टिकैत जिदा होते।

By JagranEdited By: Published: Mon, 05 Oct 2020 11:18 PM (IST)Updated: Mon, 05 Oct 2020 11:18 PM (IST)
आंदोलनों में हो रही सियासत.. काश जिदा होते बाबा टिकैत
आंदोलनों में हो रही सियासत.. काश जिदा होते बाबा टिकैत

संजीव तोमर, मुजफ्फरनगर :

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संसद से गांव के गली-कूचों तक किसान की बदहाली का शोर सुनाई दे रहा है। किसान की इस स्थिति के लिए राजनैतिक दल एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। कृषि विधेयक को लेकर खूब सियासी रोटियां सेकी जा रही हैं, लेकिन चौ. महेंद्र सिंह टिकैत जैसा नेतृत्व अब दिखाई नहीं देता। अनेकों आंदोलनों को याद कर अन्नदाता कह रहे हैं कि काश बाबा टिकैत जिदा होते।

कृषि विधेयक को लेकर भाकियू समेत विपक्षी दल सड़कों पर उतरकर आंदोलन कर रहे हैं, जबकि भाजपा विधेयक की खूबियों को बताने में लगी है। आरोप-प्रत्यारोप के सियासी संग्राम में किसान पिस रहा है। करोड़ों रुपये गन्ने का भुगतान नहीं हुआ, जबकि नया सीजन शुरू होने को है। फसलों का वाजिब मूल्य नहीं मिल रहा है। यूरिया समेत डीएपी, एनपीके खाद के लिए किसान सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटता है। भाकियू समेत राजनीतिक दल आंदोलन जरूर कर रहे हैं, लेकिन अधिकतर आंदोलन लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाते। ऐसे में धरतीपुत्र को भाकियू संस्थापक चौ. महेंद्र सिंह टिकैत के आंदोलन की याद आती है। बाबा के आंदोलन में सरकार से अपनी बात मनवाने की हुंकार थी। जो ठान लिया वह करके दिखाते थे। किसान की मजबूत आवाज को सरकारों ने सुना और मांगें पूरी कीं। सिसौली, भोपा गंगनहर, मेरठ और दिल्ली के आंदोलन इसके गवाह हैं।

भाकियू प्रवक्ता धर्मेद्र मलिक बताते हैं कि इंडिया गेट पर कृषि कानून पर वर्ष 1988 का आंदोलन एतिहासिक था। बाबा टिकैत की हुंकार से दिल्ली में खलबली मच गई थी। किसानों ने ठान लिया था कि जब तक कानून वापस नहीं होगा दिल्ली से लौटेंगे नहीं। पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल समेत कई नेता बाबा से मिलने पहुंचे थे। सात दिन के आंदोलन के बाद सरकार ने किसानों की मांगें मानी थीं। बुजुर्ग किसान ओमपाल मलिक, चौ. धीर सिंह का कहना है कि बाबा जिदा होते हो किसान की ऐसी दुर्दशा कतई न होती। बाबा किसानों से कहा करते थे लड़ना सीखें, तभी अधिकार मिलेंगे। बाबा की जयंती पर स्मृति व्याख्यान

चौ. महेंद्र सिंह की जयंती पर आनलाइन स्मृति व्याख्यान समारोह होगा, जिसके मुख्य अतिथि केंद्रीय राज्यमंत्री डा. संजीव बालियान होंगे। अध्यक्षता भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौ. राकेश टिकैत करेंगे। कार्यक्रम में अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौ. यशपाल मलिक, भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नरेश सिरोही, किसान नेता सरदार आमिर सिंह भी रहेंगे।


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