कानून का शिकंजा, फिर भी पुलिस-अपराधियों में पंगा
मौजूदा सरकार में भले ही कानून का शिकंजा कसता गया हो बावजूद पुलिस डाल-डाल तो अपराधी पात-पात रहे। अखिलेश सरकार में जनपद में हुए दंगे की यादे मौजूदा सरकार में धुंधली पड़ गईं लेकिन बलवे की घटनाओं से पुलिस पसोपेश में आई।
राशिद अली, मुजफ्फरनगर:
मौजूदा सरकार में भले ही कानून का शिकंजा कसा रहा, इसके बावजूद पुलिस डाल-डाल तो अपराधी पात-पात रहे। अखिलेश सरकार में जनपद में हुए दंगे की यादें मौजूदा सरकार में धुंधली पड़ गईं, लेकिन बलवे की घटनाओं से पुलिस पसोपेश में पड़ गई। मौजूदा सरकार में महिला उत्पीड़न के मामलों में तुलनात्मक रूप से गिरावट आई, लेकिन दुष्कर्म का ग्राफ उठता रहा। हत्या के मामले घटे लेकिन अपहरण के मामले बढ़ गए। गंगा-जमुनी तहजीब के लिए जाने जाने वाले दोआब में बसे मुजफ्फरनगर का अपराध से काफी पुराना रिश्ता है। खेती-किसानी के मामले में संपन्न जनपद में आए दिन होने वाली हत्याओं के मूल में अक्सर जर, जोरू और जमीन ही रहे। कारण कुछ भी रहे हों लेकिन अपराध का ग्राफ लगातार बढ़ता रहा। योगी सरकार के दौरान पुलिस ने बदमाशों से निपटने के तौर-तरीके बदले। गत वर्ष 150 से अधिक मुठभेड़ हुई, जिनमें चार बड़े व इनामी अपराधियों को मौत के घाट उतार दिया गया। 75 से अधिक बदमाश पुलिस की गोली लगने से घायल हुए। इस दौरान करीब 40 पुलिसकर्मियों को भी गोली लगी। पुलिस ने 275 से अधिक अपराधियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा। महिलाओं पर अत्याचार दुष्कर्म रहा आधार
पिछला साल महिलाओं के लिए ठीक-ठाक नहीं रहा। वर्ष 2018 में 45 महिलाओं की हत्या हुई जबकि 54 महिलाएं दुष्कर्म का शिकार बनीं। पुलिस ने दुष्कर्म के चार मामलों में अंतरिम रिपोर्ट लगा 47 में आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किए, जबकि वर्ष 2017 में 48 महिलाएं दुष्कर्म का शिकार बनीं। सपा सरकार के दौरान वर्ष 2016 की बात करें तो जनपद में दुष्कर्म का आंकड़ा 31 के ऊपर नहीं पहुंचा। तुलनात्मक रूप से अखिलेश सरकार के अंतिम वर्ष के मुकाबले गत वर्ष दुष्कर्म के मामलों में मामूली बढ़ोतरी हुई। बलवे ने खोल दी थी खुफिया की पोल
एससी-एसटी अधिनियम में परिवर्तन के विरोध में दो अप्रैल 2018 को जनपद में बड़ा बवाल हुआ था। बंद के दौरान भीड़ ने रेलवे स्टेशन पर ट्रेन रोक दी थी। हंगामे व पथराव के बाद जबरदस्त आगजनी हुई थी। इस दौरान एक युवक की हत्या कर दी गई और आगजनी और तोड़फोड़ में सरकारी के अलावा निजी संपत्ति को भी भारी नुकसान पहुंचा था। जीआरपी व नई मंडी कोतवाली पुलिस ने तीन दर्जन से अधिक मुकदमे दर्ज कर 30 से अधिक लोगों की गिरफ्तारी की थी। तीन पर रासुका भी लगाई गई थी। इस घटना से खुफिया पुलिस की पोल खुल गई थी, क्योंकि जनपद का खुफिया तंत्र भीड़ की संख्या का आंकलन करने में विफल रहा था। मौजूदा सरकार में हालांकि दंगा नहीं हुआ लेकिन इस बलवे से पुलिस ढिलाई भी सामने आई थी। वर्ष 2018: किस मामले में क्या कार्रवाई
अपराध मामले गिरफ्तारी
गिरोहबंद अधि. 088 325
रासुका 013 013
हत्या 065 130
लूट 065 163
अपहरण (363) 211 197
एससी-एसटी एक्ट 068 138 तुलनात्मक अपराध
अपराध 2016 2018
डकैती 00 01
लूट 55 58
हत्या 79 65
बलवा 86 93
वाहन चोरी 395 282