मुजफ्फरनगर से जुड़ी हैं पं. नेहरूजी की यादें
देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं जवाहर लाल नेहरू की मुजफ्फरनगर से भी मधुर स्मृतियां जुड़ी हुई है। कलेंडर की तारीखें बदलती रही और वक्त का चक्र अभाद गति से चलता रहा लेकिन वे यादें गंगाजल की तरह आज भी ताजा है।
मुजफ्फरनगर, जेएनएन। देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू की जनपद से भी मधुर स्मृतियां जुड़ी हुई हैं। कलेंडर की तारीखें बदलती रहीं और वक्त का चक्र निर्बाध गति से चलता रहा, लेकिन वे यादें गंगाजल की तरह आज भी ताजा हैं। शिक्षाऋषि स्वामी कल्याण देव महाराज के बुलावे पर 26 नवंबर 1958 को नेहरूजी शुकतीर्थ किसान सम्मेलन में आए थे। बताते हैं कि बेलड़ा गंगनहर पुल पर पंडित नेहरू जी सड़क पर कतार में खड़े रंग-बिरंगे स्वेटर पहने हाथों में माला लिए बच्चों को देख गाड़ी रुकवाकर नीचे उतर गए थे और एक-एक बच्चे को स्नेह के साथ खुद ही माला पहनाई थी।
पंडित जवाहर लाल नेहरू का आज जन्मदिवस है। 14 नवंबर 1889 को उनका जन्म इलाहाबाद में हुआ था। स्वतंत्रता संग्राम के लोकप्रिय नायक नेहरूजी की बातें और यादें राष्ट्र की धरोहर हैं। जिले की तीर्थनगरी शुकतीर्थ की पावन भूमि से भी उनकी अमिट स्मृतियां जुड़ी हुईं हैं।
शुकदेव आश्रम के पीठाधीश्वर स्वामी ओमानंद महाराज बताते हैं कि तीन सदी के युगदृष्टा शिक्षाऋषि स्वामी कल्याण देव महाराज के बुलावे पर पं. जवाहर लाल नेहरू 26 नवंबर 1958 को शुकतीर्थ कार्तिक गंगा स्नान मेले में आयोजित किसान सम्मेलन में आए थे। प्रशासन ने रास्ते में बेलड़ा गंगनहर पर सिचाई विभाग के निरीक्षण भवन पर उनके रुकने की व्यवस्था की थी। एक दिन पहले प्रशासन ने उनके वहां रुकने का कार्यक्रम निरस्त कर दिया तो ग्रामीणों को निराशा हुई।
स्वामी कल्याण देव महाराज ने ग्रामीणों को राह सुझाई। नेहरूजी की गाड़ियों का काफिला जिस समय गांव बेलड़ा गंगनहर से गुजर रहा था तो उनकी नजर सड़क के दोनों ओर लाल, हरे, गुलाबी रंग बिरंगे स्वेटर पहने हाथों में माला लिए 'चाचा नेहरू जिदाबाद' के नारे लगाते हुए कतार में खड़े बच्चों पर पड़ी तो वे अपने को रोक नहीं पाए और गाड़ी रुकवाकर नीचे उतर गए थे और एक एक बच्चे को अपने हाथों से खुद ही माला पहनाई थी।
जाट महासभा के संरक्षक एवं जनता इंटर कालेज भोपा के सेवानिवृत प्रधानाचार्य महावीर सिंह राठी बताते हैं कि भोपा गंगनहर पर उन्होंने भी सैकड़ों बच्चों के साथ नेहरू जी का स्वागत किया था।
आत्मनिर्भर बनाने का दिलाया था संकल्प
पंडित नेहरूजी ने किसान सम्मेलन में किसानों से अन्न पैदा कर भारत को आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प कराया था, जहां पर नेहरू जी ने शिक्षा ऋषि स्वामी कल्याण देव महाराज जी को उत्तर प्रदेश का गांधी कहकर पुकारा था।