धरती सजाने की अलख जगा रहे निरंजन
शुद्ध जल-वायु के बिना जीवन अधूरा है। बचा रहे हरियाली और मिलती रहे शुद्ध वायु निरंजन सिंह इसी कौशिश में जुटे हैं। बचपन में पेड़-पौधे उगाने का शौक बुढ़ापे में जुनून बन गया है। अपनी जिदंगी वह अब तक 25 हजार पौधों से पृथ्वी का श्रृंगार कर चुके हैं। पर्यावरण सरंक्षण और योग का प्रचार करना ही जीवन का मकसद है। यह सब कुछ वह अपने खर्चे पर वहन करते हैं। स्कूल कालेजों के साथ शहर की आबोहवा को पौधरोपण के जरिए शुद्ध बना रहे हैं। शहर की आदर्श कॉलोनी निवासी निरंजन सिंह बताते हैं
मुजफ्फरनगर, जेएनएन। शुद्ध जल-वायु के बिना जीवन अधूरा है। बचा रहे हरियाली और मिलती रहे शुद्ध वायु निरंजन सिंह इसी कोशिश में जुटे हैं। बचपन में पेड़-पौधे उगाने का शौक बुढ़ापे में जुनून बन गया है। अपनी जिदगी वे अब तक 25 हजार पौधों से पृथ्वी का श्रृंगार कर चुके हैं। पर्यावरण संरक्षण और योग का प्रचार करना ही जीवन का मकसद है। यह सबकुछ वे अपने खर्चे पर वहन करते हैं। स्कूल, कालेजों के साथ शहर की आबोहवा को पौधरोपण के जरिए शुद्ध बना रहे हैं।
शहर की आदर्श कॉलोनी निवासी निरंजन सिंह बताते हैं कि बचपन में उन्हें घर के आंगन में पौध लगाने का शौक रहा है। पौधे बड़े हुए तो फल और छाया के साथ शुद्ध वायु मिली। किशोरावस्था में किताबी ज्ञान जाना तो पर्यावरण की ओर उन्मुख हो गए। यहीं से प्रकृति प्रेम बढ़ा और जीवन में उद्देश्य पौधारोपण करना बना लिया। उम्र बढ़ी तो जिज्ञासा भी अधिक हो गई। भोपा के जनता इंटर कालेज में वे प्रवक्ता रहते हुए छात्र-छात्राओं को पर्यावरण संरक्षण का संकल्प दिलाया। पौधारोपण अब उनका जुनून बन चुका है। धरती की गोद में पौधारोपण करने का अनोखा जुनून सिर पर सवार है। वे बताते हैं कि जल-वायु को शुद्ध बनाने का एक मात्र तरीका ही पौधारोपण है। लगभग 70 वर्ष की उम्र में पर्यावरण के लिए उनका प्रेम देखकर नौजवान तक दांतों तले उंगलियां दबा लेते हैं। अपने जीवनकाल में अब तक 25 हजार पौधे लगा चुके हैं। प्रकृति के लिए प्रेम ऐसा है कि घर को ही बागवानी बना लिया है। कभी कूड़े का अंबार,
आज लहला रही पौध
भोपा रोड-गांधी कॉलोनी लिक मार्ग पर 200 मीटर तक कूड़े का अंबार था। हर वक्त दुर्गंध और आवारा पशुओं डेरा था। निरंजन सिंह के मन में गंदगी देखकर पीड़ा हुई तो उसकी सफाई मुहिम छेड़ दी। कॉलोनियों में घूमकर कूड़े को हटाने में सहयोग मांगा। एक रोज अपनी जेब से 15 हजार रुपये खर्च किए और 35 हजार कॉलोनी से चंदा एकत्र कर कूड़े को जेसीबी से उठवा दिया। करीब 25 ट्रॉली कूड़ा उठवाकर वहां पौधरोपण किया। आज वह स्थान हरियाली का गढ़ बन गया।
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1997 से कॉलेजों में
बढ़ा रहे हरियाली
प्रकृति प्रेमी निरंजन सिंह ने वर्ष 1997 से 2013 तक भोपा इंटर कालेज में बागवानी की। वर्ष 2006 से 2008 तक एमडीए के साथ मिलकर राजकीय इंटर कॉलेज, सनातन धर्म इंटर कालेज, चौ. छोटूराम कालेज, गांधी कॉलोनी के साथ जाट धर्मशाला में नीम, सागोन, कनेर, चांदनी, वर्माडेक आदि पौधे लगाकर उनका संरक्षण कर रहे हैं।