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भारतीय संस्कृति-सभ्यता के दूत बने ज्ञानी

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरनगर : भारतीय संस्कृति और सभ्यता मानव सेवा सिखाती है। इसी कहावत को

By JagranEdited By: Published: Tue, 14 Aug 2018 11:29 PM (IST)Updated: Tue, 14 Aug 2018 11:29 PM (IST)
भारतीय संस्कृति-सभ्यता के दूत बने ज्ञानी

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरनगर : भारतीय संस्कृति और सभ्यता मानव सेवा सिखाती है। इसी कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं कैलाश चंद गुप्ता उर्फ ज्ञानी भाई। ¨हदू रीति-रिवाज से 254 गरीब कन्याओं की शादी करा चुके ज्ञानी भाई को प्रकृति से असीम प्रेम है। शुक्रताल में गंगाघाट की सफाई से लेकर लोगों को स्वच्छता का संदेश दे रहे हैं। इसके साथ ही असहाय और गरीब लोगों की मदद को हर समय तैयार रहते हैं।

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शहर के लक्ष्मण विहार में रहने वाले कैशाल चंद गुप्ता का कभी लोहे का अच्छा कारोबार था, लेकिन ज्यादा दिनों तक बिजनेस में मन नहीं लगा। निर्धन कन्याओं, अनाथ बच्चों को देख उनका हृदय द्रवित हो उठा और नि:स्वार्थ समाज सेवा की ठान ली। गरीबों की बस्ती में जाकर अभिभावकों को बच्चों को संस्कारयुक्त शिक्षा देने के लिए प्रेरित किया। गरीब कन्याओं की शादी कराई। नई मंडी स्थित संकीर्तन भवन में अभी तक 254 बेटियों की शादी करा चुके हैं। शादी में जरूरत का सामान भी देते हैं। इसके लिए विभिन्न संगठनों और सेवाभाव रखने वाले गणमान्य लोगों की सहायता लेते हैं। दहेज रहित शादी के लिए लोगों को जागरूक भी करते हैं। वे केंद्र सरकार के स्वच्छता अभियान से भी जुड़े हैं। पर्यावरण की रक्षा के लिए साफ-सफाई समेत पॉलीथिन के दुष्प्रभाव के बारे में लोगों को बताते हैं। इतना ही नहीं शुक्रताल में 'नमामि गंगे' प्रोजेक्ट से जुड़े हुए हैं। ज्ञानी भाई बताते हैं कि प्राणी से प्यार करना भगवान से प्यार करने के समान है। बेटा गोवा में नौकरी करता है। तीनों बेटियों समेत चारों बच्चों की शादी कर दी है। वे सुबह-सवेरे घर से निकल जाते हैं। प्रतिदिन सुबह संकीर्तन भवन और शाम को गणपतिधाम में भूखों को भोजन कराते हैं। शुक्रताल में सप्ताह में एक दिन भंडारा कराया जाता है। अहम् बात यह है कि इसमें धनी-निर्धन सभी अपनी जूठी प्लेट स्वयं उठाकर निश्चित स्थान पर डालते हैं। जमीन पर बैठाकर खाना खिलाया जाता है। इन कार्यो में ज्ञानीजी को अपार सुख मिलता है।


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