आम को बाजार का इंतजार, जर्मनी-जापान नहीं जाएगा
फलों का राजा आम इस वर्ष मौसम की मार से तंग रहा है। ओलावृष्टि ने आम की फसल के साथ बागवानी को नुकसान पहुंचाया है।
मुजफ्फरनगर, जेएनएन। फलों का राजा आम इस वर्ष मौसम की मार से तंग रहा है। ओलावृष्टि ने आम की फसल के साथ बागवानी को नुकसान पहुंचाया है। बावजूद, इसके आम को खास होने के लिए बाजार का इंतजार है। कोविड-19 महामारी के कारण विदेशों में नहीं भेजा जाएगा, लेकिन देशभर में कई राज्य जनपद के आम का आनंद उठाएंगे। इसके लिए उद्यान विभाग भी पहल करने में लगा है।
जिले में करीब एक हजार से अधिक किसान आम की फसल से जुड़े हैं। इस वर्ष मध्य मई तक बारिश और ओलावृष्टि के कारण आम की फसल को नुकसान पहुंचा है। जिस कारण आम का उत्पादन गिरा है। आम का उत्पादन रहने के कारण दाम पर भी विपरीत असर पड़ेगा। पेड़ों पर लगे आम में गुठलियां पड़ गई है। कई जगह आम पककर रसीला हो गया है। लॉकडाउन की बंशिद के कारण आम को भी बाजार उपलब्ध नहीं हो सका है। मंडी में आढ़ती आम पहुंचने का इंतजार कर रहे हैं। इन दिनों खरबूजा, तरबूज, नारियल, लीची के साथ आम की बाजार में भरमार रहती है।
साढ़े आठ हजार हेक्टेयर में आम के बाग
जनपद में आम के बागों को लेकर उद्यान विभाग में रिकॉर्ड बना है। खतौली, जानसठ, बघरा, चरथावल, पुरकाजी, बुढ़ाना आदि के साथ जिलेभर में करीब साढ़े आठ हजार हेक्टेयर में आम के बाग है। औसत अनुरूप एक हेक्टेयर में साढ़े ग्यारह मीट्रिक टन आम का उत्पादन होता है, जो इस बार दस मीट्रिक टन रहने की संभावना है। एक वर्ष में जनपद में नौ लाख छह हजार कुंतल से अधिक आम का उत्पादन होता है।
कोलकाता तक आम की पहुंच
जिले के बागों में करीब सात प्रजाति प्रमुख रूप से होती है। इनमें चौसा, लंगडा, दशहरी, रामकेला, बांबे क्रीम, गुलाब जामुन आदि होती है। यह सभी वैरायटी देश के राजस्थान, मध्यप्रदेश, हिमाचल के साथ ही कोलकत्ता तक भेजा जाता है। वर्ष 2018 में जर्मनी और जापान तक भी आम तक पहुंचता है। इसके लिए सहारनपुर के मैंगो हाऊस तक किसानों को दौड़ लगानी पड़ती है।
इनका कहना है
जिले में आम की फसल पक कर तैयार हो चुकी है। लॉकडाउन खुले तो आम को बाजार उपलब्ध होगा। औसत उत्पादन एक हैक्टेयर में साढ़े ग्यारह मीट्रिक टन आम होता है। करीब एक हजार बागवान आम की फसल से जुड़े हुए हैं।
-अरुण कुमार, जिला उद्यान अधिकारी, मुजफ्फरनगर।