मेरठ की टीम फेल, एक्सपर्ट के इंतजार में गुजरा आधा दिन
तेंदुआ पकड़ने आई मेरठ की रेस्क्यू टीम फेल हो गई। टीम अपने साथ वाहन और जाल लेकर पहुंची लेकिन ट्रेंक्युलाइज करने के लिए गन नहीं थी। ऐसे में समस्या अधिक बढ़ गई। मेरठ के बाद दिल्ली या हरिद्वार देहरादून में ही एक्सपर्ट मौजूद है।
मुजफ्फरनगर, जेएनएन। तेंदुआ पकड़ने आई मेरठ की रेस्क्यू टीम फेल हो गई। टीम अपने साथ वाहन और जाल लेकर पहुंची, लेकिन ट्रेंक्युलाइज करने के लिए गन नहीं थी। ऐसे में समस्या अधिक बढ़ गई। मेरठ के बाद दिल्ली या हरिद्वार, देहरादून में ही एक्सपर्ट मौजूद है। एक्सपर्ट में बेहोशी की दवा तैयार करने वाले चिकित्सक और ट्रेंक्युलाइज गन चलाने के विशेषज्ञ शामिल होते हैं। जनपद और मेरठ के फेल होने के बाद आधा एक्सपर्ट को बुलाया गया। जिनके इंतजार में आधा दिन गुजर गया।
रविवार की सुबह करीब साढ़े छह बजे तेंदुआ फंसा होने की खबर आग की तरह फैल गई। पुलिस, वन विभाग के अधिकारियों ने तेंदुआ काबू करने की भरसक कोशिश की। वन विभाग की टीम ने किसी तरह से पिजरा तो मंगवा लिया, लेकिन उसे रेस्क्यू करने में कामयाबी नहीं मिल सकी। इसके चलते मेरठ मंडल की रेस्क्यू टीम को बुलाया गया। मेरठ से तीन सदस्य दल मौके पर पहुंचा। इस दल के पास पिजरा, जाल तो था, मगर पर्याप्त संसाधन न थे। बताते हैं कि टीम के पास एक गन भी थी, लेकिन वह ट्रेंक्युलाइज नहीं थी। तेंदुआ व्यस्क था, जिस कारण से बिना ट्रेंक्युलाइज किए पकड़ना मुश्किल था। टीम के हाथ खड़़े करने के बाद दिल्ली, देहरादून से संपर्क किया गया। देहरादून के विशेषज्ञों ने मुजफ्फरनगर आने के लिए हामी भरी। उनके इंतजार में दोपहर 14 बजे से शाम के चार बजे तक इंतजार किया गया। ट्रेंक्युलाइज गन को चलाने के लिए विशेषज्ञ होते हैं। इस गन से किया गया फायर सीधे जानवर पर वार नहीं करता है, इसकी डोज वाली रबड़ की गोली घूमकर (राउंड शेप) लगती है। इंजेक्शन जानवर के भीतर पहुंचते ही चंद मिनट बाद ही असर प्रारंभ होता है।
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खेतों में दौड़ते रहे अधिकारी
खटके में फंसा तेंदुआ लगातार हिसक गतिविधि पर उतारू रहा। उसकी हरकतों पर नजर रखने के लिए अधिकारी कड़ी नजर जमाए रहे। रेंजरों के साथ अधिकारियों की टीम खेतों में दौड़ लगाती रही। लोगों की भीड़ को हटाने के बाद तेंदुआ थोड़ा शांत हो सका। जिसके चलते उसे पकड़ने में आसानी हो सकी है। भीड़ को देखकर वह बैठ नहीं सका, ऐसे में ट्रेंक्युलाइज किए जाने में परेशानी हो गई।
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होश में लाने के लिए लगाई ड्रिप
देहरादून की टीम ने तेंदुआ को ट्रेंक्युलाइज करने के बाद बेहोश कर दिया। इसके बाद काले कपड़े से उसका मुंह बांध दिया गया। इसके बाद चिकित्सक की टीम ने उसकी धड़कनें, सांस और बेहोश होने की तस्दीक की। इसके बाद उसे जाल में लपेट कर पिजरे में रखा गया। यहां उसे होश लाने के लिए एक अलग से इंजेक्शन दिया गया। वहीं, स्वास्थ्य के लिए ड्रिप लगाई गई।