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दुश्मन के वार सहे अपनी जान पर..

दीपावली व उर्दू दिवस पर मुशायरा व कवि सम्मेलन।

By JagranEdited By: Published: Sat, 10 Nov 2018 11:12 PM (IST)Updated: Sat, 10 Nov 2018 11:12 PM (IST)
दुश्मन के वार सहे अपनी जान पर..
दुश्मन के वार सहे अपनी जान पर..

मुजफ्फरनगर : पैगाम-ए-इंसानियत संस्था की ओर से मेरठ रोड स्थित कैंप कार्यालय पर मुशायरा व कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। शायरों ने आपसी सौहार्द पर बल देते हुए कुरीतियों पर चोट की। देर रात श्रोताओं को बांधे रखा।

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कार्यक्रम का शुभारंभ शुक्रवार रात नात-ए-पाक से हुआ। खुर्शीद हैदर ने फरमाया, 'जिंदाबाद ऐ वतन, जिंदाबाद ऐ वतन, सबसे आला है अम्नो सकूं का चलन'। जुनैद अख्तर जुनैद ने पढ़ा, 'बेटा ये कह रहा था कि कम बोल तू जरा, ये सुन के मां के आंसू निकल पड़े'। अमजद आतिश ने कहा, 'बाप के सामने लब कुशाई, इससे बढ़कर जलालत नहीं है'। नवेद अंजुम ने कहा, 'अगर शऊर जरा सा भी है तुममें बाकी, जहालतों को मिटाने का इंतजाम करो'। सुनील उत्सव ने कहा, 'वो गुफ्तगू में लहजाए उर्दू लिए हुए, है किस कदर कमाल की खुशबू लिए हुए'। अरशद जिया ने पढ़ा, 'दुश्मन के वार हमने सहे अपनी जान पर, आने न दी खरोंच भी ¨हदोस्तान पर'। अल्ताफ मशअल ने कहा, 'दुनिया में सबसे अच्छा देखो वतन हमारा, हम हैं सितारे इसके ये है गगन हमारा'। रियाज सागर ने कहा, 'हमारे देश की धरती पे ये कैसा उजाला है, जिधर भी देखिए पाखंडियों का बोलबाला है'। संस्था के अध्यक्ष आसिफ रही ने सभी का आभार जताया। इस दौरान भाकियू प्रवक्ता चौ. राकेश टिकैत, धर्मेद्र मलिक, अशोक बालियान, सुभाष माटियान, गुरु कीर्ति भूषण, रेवतीनंदन ¨सघल, संजय मित्तल, प्रदीप जैन, असर फारूकी, अमीर आजम खान, महबूब आलम, डॉ. इरशाद अली, नजर खां व नौशाद कुरैशी आदि मौजूद रहे।


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