नगर निकायों में कागजी योजना बनाकर हो रही जल निकासी
नगर निकायों में जल निकासी प्रणाली किसी से छिपी नहीं है। निकायों में कागजी योजना बनाकर व्यवस्था मजबूत होने के दावे किए जा रहे हैं लेकिन हकीकत कुछ और ही है।
मुजफ्फरनगर, जेएनएन। नगर निकायों में जल निकासी प्रणाली किसी से छिपी नहीं है। निकायों में कागजी योजना बनाकर व्यवस्था मजबूत होने के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। मामूली बारिश में भी जलभराव से होना आम बात हो गई है। निकायों को भारी भरकम बजट साफ-सफाई के साथ व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए दिया जाता है। उसके बाद भी हालात बदतर हैं। जनपद के अधिकांश निकायों का यही हाल है। गली, मोहल्लों में जलभराव होने से लोग परेशान हैं, जबकि व्यापारियों की दुकानों तक पानी पहुंचता है।
पुराने ढर्रे पर काम कर रहे निकाय
कई निकाय ऐसे हैं, जो अंग्रेजी शासन काल में अस्तित्व में आए। यहां आबादी के साथ क्षेत्रफल में भी बढ़ोतरी हुई, लेकिन जल निकासी पूरी तरह से चौपट है। सामान्य दिनों में दूषित जल का बहाव ठीक रहता है, लेकिन हल्की बारिश में दावों की पोल खुलकर सामने आती है। निकायों में नाले तो बनाए गए, लेकिन अब कॉलोनियों, बस्तियों के बीच से गुजरने से इन पर कब्जा हो गया है। कहीं स्लैब डालकर नाले पाट दिए गए हैं तो कहीं नालों पर जाल पड़े है। ऐसे में पर्याप्त सफाई नहीं होने से बरसात में अधिक जूझना पड़ता है।
मजबूत प्लान से सुधरेगी व्यवस्था
निकायों में जल निकासी के लिए सिचाई विभाग के नालों पर टिकी है। आजादी के बाद से आबादी में तेजी के साथ बढ़ोत्तरी हुई है। इस कारण सीमित संसाधनों से व्यवस्था पूर्ण नहीं हो पा रही है। ऐसे में मजबूत योजना के साथ नए सिरे से रोडमैप तैयार करने के बाद हालात में सुधार आ सकता है। वैसे तो पूरे वर्ष पानी को निकालने के लिए तरह-तरह से योजना बनती है, लेकिन कारगर योजना अभी साबित नहीं हो सकी है।
नगर निकाय की स्थापना और आबादी
नगर निकाय स्थापना आबादी
खतौली वर्ष 1957 90000
मीरापुर वर्ष 1955 29283
जानसठ वर्ष 1933 40000
चरथावल वर्ष 1860 20651
बुढ़ाना वर्ष 1866 39867
पुरकाजी वर्ष 1860 27000
भोकरहेड़ी वर्ष 1972 17817
सिसौली वर्ष 1928 15091
शाहपुर वर्ष 1860 35000