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सत्ता का समर्थन न विरोध, कृषि कानूनों पर रहे मौन

राष्ट्रप्रेमी किसान मजदूर महापंचायत में मुख्य रूप से केवल दो वक्ता बोले और दोनों ने किसानहित में आवाज बुलंद की। देश में चल रही राजनीतिक गतिविधियों से दूर किसानों की मांगों को उठाया गया। महापंचायत में जितने अनुशासित वक्ता रहे उतनी ही भीड़ दिखाई दी। मंच या मैदान से सत्ता का समर्थन हुआ न विरोध किया गया। तीनों कृषि कानूनों पर भी मौन रहे।

By JagranEdited By: Published: Sun, 26 Sep 2021 11:20 PM (IST)Updated: Sun, 26 Sep 2021 11:20 PM (IST)
सत्ता का समर्थन न विरोध, कृषि कानूनों पर रहे मौन
सत्ता का समर्थन न विरोध, कृषि कानूनों पर रहे मौन

संजीव तोमर, मुजफ्फरनगर

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राष्ट्रप्रेमी किसान मजदूर महापंचायत में मुख्य रूप से केवल दो वक्ता बोले और दोनों ने किसानहित में आवाज बुलंद की। देश में चल रही राजनीतिक गतिविधियों से दूर किसानों की मांगों को उठाया गया। महापंचायत में जितने अनुशासित वक्ता रहे, उतनी ही भीड़ दिखाई दी। मंच या मैदान से सत्ता का समर्थन हुआ न विरोध किया गया। तीनों कृषि कानूनों पर भी मौन रहे।

महापंचायत से पूर्व सियासी गलियारों में तरह-तरही चर्चाएं चल रही थीं। कभी भाजपा समर्थित कहा गया तो कभी राजनीतिक से प्रेरित बताया गया। बीते दिनों राजकीय इंटर कालेज के मैदान पर संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर हुई महापंचायत से जोड़कर भी देखा गया। रविवार को इसी मैदान पर हुई महापंचायत में हालात इन सब से जुदा दिखाई दिए। मंच से लेकर माइक और व्यवस्थाएं पूर्व की महापंचायत से जुदा रहीं। महापंचायत में ट्रैक्टरों का रेला रहा। भीड़ बेहद अनुशासित रही। ट्रैक्टरों लाइन में लगकर जीआइसी मैदान में पहुंचे और इसी क्रम में लौटे। जाम लगा तो आयोजक समिति के सदस्यों ने जाम खुलवाने में पुलिस की मदद की। चौराहों पर हिद मजदूर किसान समिति के सदस्य खड़े दिखाई दिए। महापंचायत रणसिघे की गरज और राष्ट्रगान के साथ शुरू हुई और भारत माता जय, वंदेमातरम के उद्घोष के साथ संपन्न हुई। हर-हर महादेव के नारे लगाए गए। देशभक्ति के तरानों से भीड़ को बांधे रखा। ट्रैक्टरों पर तिरंगे लहराते रहे।

मुख्य वक्ता आध्यात्मिक किसान नेता चंद्रमोहन ने गन्ना किसानों की समस्या को प्रमुखता से रखा और सरकार से समाधान की अपील करते हुए सुझाव के तरीके से भी सुझाए। समर्थन और विरोध के भाव से वह कोसों दूर रहे। इतना ही नहीं तीनों कृषि कानूनों का मंच से कोई जिक्र नहीं किया गया। दिल्ली बार्डर पर किसान आंदोलन से भी वक्ताओं ने दूरी बनाए रखी।

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इशारों में छोड़े सियासी बाण

महापंचायत में चंद्रमोहन और गठवाला खाप चौधरी राजेंद्र सिंह मलिक ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के काम की तारीफ की। साथ ही किसान मुद्दों पर चेताया। बगैर कुछ इशारों-इशारों में विपक्ष पर तीर छोड़े। राजेंद्र सिंह मलिक ने कहा असली पंचायत और राजा विरोध विद्रोह कहकर बहस को जन्म दे दिया है। इस पर विपक्ष इंटरनेट मीडिया पर कटाक्ष कर रहा है। चंद्रमोहन ने कहा कि विपक्ष विपक्ष में किसान की चिता और सत्ता में केवल अपनी चिता रहती है। इसे छोड़ना होगा।


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