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ओलंपिक का टिकट पाने से चूकी दिव्या काकरान

दंगल गर्ल दिव्या काकरान का ओलंपिक में जाने का सपना टूट गया। होनहार बेटी दिव्या ओलंपिक का टिकट पाने से चूक गई। कजाकिस्तान में चल रही सीनियर कुश्ती में उसे जापान की चैम्पियन खिलाड़ी ने मात देकर ओलंपिक की दौड़ से बाहर कर दिया। बेटी की हार से गांव और परिजनों की उम्मीदों को झटका लगा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 Sep 2019 11:31 PM (IST)Updated: Fri, 20 Sep 2019 11:31 PM (IST)
ओलंपिक का टिकट पाने से चूकी दिव्या काकरान

मुजफ्फरनगर, जेएनएन। दंगल गर्ल दिव्या काकरान का ओलंपिक में जाने का सपना टूट गया है। होनहार बेटी दिव्या ओलंपिक का टिकट पाने से चूक गई। कजाकिस्तान में चल रही सीनियर कुश्ती में उसे जापान की चैम्पियन खिलाड़ी ने मात देकर ओलंपिक की दौड़ से बाहर कर दिया। बेटी की हार से गांव और परिजनों की उम्मीदों को झटका लगा है। पिता ने कहा कि दिव्या ने कुश्ती के लिए मेहनत खूब की, लेकिन किस्मत उसका साथ नहीं दे सकी।

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मंसूरपुर के गांव पुरबालियान निवासी दिव्या काकरान का कुश्ती में बेहतर रिकॉर्ड है। कॉमनवेल्थ, गोल्ड कोस्ट के साथ उसने एशियन गेम्स-2018 में कांस्य पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया। इसके अलावा भी वह करीब 60 से अधिक मेडल जीत चुकी है। राजस्थान और भारत केसरी का खिताब उसके नाम है। दिव्या की इच्छा ओलंपिक में स्थान बनाने की थी, जिसके लिए उसने लखनऊ और विदेश में अभ्यास किया। एक सितंबर को वह कजाकिस्तान में सीनियर विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप में भाग लेने गई है। गुरुवार को 68 किलोभार में दिव्या का मुकाबला जापान की ओलंपिक चैम्पियन खिलाड़ी सारा दोशो से हुआ। इस मुकाबले में दिव्या के प्रदर्शन ने उम्मीद बढ़कर प्रदर्शन किया, लेकिन कामयाबी नहीं मिल सकी। दिव्या मुकाबले में 0-2 से हार गई। जापान की इस खिलाड़ी ने दिव्या को हराकर उसका ओलंपिक में जाने से रास्ता रोक दिया। होनहार बेटी ओलंपिक की दौड़ में पिछड़ गई। उसकी हार से गांव पुरबालियान के लोगों के साथ परिजन भी मायूस हैं। पिता सूरजवीर ने बताया कि दिव्या का मुकाबला उन्होंने देखा है। जिसमें वह काफी अच्छा खेली। मेहनत और हर दांव के बाद वह पिछड़ गई। किस्मत उसका साथ नहीं दे सकी।

हौसला बढ़ाकर लौटेगी बेटी

दिव्या के कजाकिस्तान रवाना होने से पहले मां ने उसे एयरपोर्ट छोड़ा था। उसके लिए दुआएं की गई। पिता बताते हैं कि दिव्या के ओलंपिक में नहीं जाने से मां अधिक दुखी है। बेटी हार से मायूस जरूर है, लेकिन हिम्मत नहीं हारेगी। अब उसका ध्यान अपनी कमजोरियों को दूर करने पर है।


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