मुजफ्फरनगर दंगे के मुकदमे वापस नहीं लेगा जिला प्रशासन, मंत्रालय को भेजा पत्र
पांच साल पहले सपा सरकार में हुए साम्प्रदायिक दंगों के मुकदमों का प्रशासनिक आधार पर फैसले से जिला प्रशासन सहमत नहीं है।
मुजफ्फरनगर (जेएनएन)। पांच साल पहले सपा सरकार में हुए साम्प्रदायिक दंगों के मुकदमों का प्रशासनिक आधार पर फैसले से जिला प्रशासन सहमत नहीं है। जिलाधिकारी ने कानून मंत्रालय को पत्र लिखकर अपना पक्ष स्पष्ट कर दिया है। इस मामले में भाजपा के दो सांसद और तीन विधायक आरोपित हैं। मुजफ्फरनगर के डीएम राजीव शर्मा ने बताया कि सांप्रदायिक दंगों के मुकदमे का हल प्रशासनिक आधार पर नहीं, बल्कि कानूनी आधार पर होना चाहिए। कानून मंत्रालय को इसके लिए पत्र भेजा है।
गई थी कई लोगों की जान
बता दें कि वर्ष 2013 में मुजफ्फरनगर के जानसठ क्षेत्र के गांव कवाल में सचिन, गौरव और शाहनवाज की हत्या को लेकर साम्प्रदायिक बवाल हुआ था। इसमें कई लोगों की जान गई थी। इस मामले में पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री और मुजफ्फरनगर सांसद डॉ. संजीव बालियान, बिजनौर सांसद कुंवर भारतेंद्र सिंह, बुढ़ाना विधायक उमेश मलिक, चरथावल विधायक सुरेश राणा, सरधना विधायक संगीत सोम, साध्वी प्राची को आरोपित बनाया गया था। कुछ पर रासुका के तहत भी कार्रवाई की गई थी। दंगों के बाद केंद्र और प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी तो भाजपा नेताओं से मुकदमे वापसी की प्रक्रिया शुरू हो गई।
सपा ने किया विरोध
दंगों के मुकदमे वापसी और सुलह-समझौते के आधार पर खत्म कराने को लेकर सांसद और विधायक खाप चौधरियों के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी मिले थे। हालांकि सपा ने इसका विरोध किया था। बताया जाता है कि शासन और कानून मंत्रालय की ओर से जिला प्रशासन से राय मांगी गई थी। डीएम और एसएसपी के बीच कई दिनों तक मंथन हुआ था। इसके बाद जिला प्रशासन ने पत्र भेज दिया है।