नासूर बना कूड़ा, गंदगी से सड़ रहा शहर
मुजफ्फरनगर: पालिका कर्मचारियों और एटूजेड की हीलाहवाली से कूड़े की समस्या नासूर बनती ज
मुजफ्फरनगर: पालिका कर्मचारियों और एटूजेड की हीलाहवाली से कूड़े की समस्या नासूर बनती जा रही है। गली-मोहल्लों के साथ चौक-चौराहों पर कूड़ा स्वागत कर रहा है। कूड़े के ढेर को खत्म करने लिए नगर पालिका प्रशासन की व्यवस्था नाकाफी साबित हो रही है। इससे लोगों का जीना मुहाल हो गया है।
शहर की आबादी करीब साढ़े चार लाख है। इस आबादी से रोजाना 140 टन कूड़ा निकलता है। जिसे एकत्र करने के लिए पालिका कर्मचारियों के साथ निजी संस्था कार्य करती है। पालिका के कर्मचारी वार्डो से कूड़ा एकत्र कर निर्धारित स्थान पर डालते हैं। यहां से एटूजेड के कर्मचारी अपने वाहनों से कूड़े को उठाकर प्लांट तक पहुंचाते हैं। कूड़ा एकत्र करने और उठाने पर कर्मचारियों ने धींगामुस्ती अपना रखी है। अमूमन कूड़ा उठाने का शेड्यूल सुबह 10 बजे से पहले का है, मगर मार्केट हो या चौक, चौराहा कूड़े के ढेर दोपहर तक लगे रहते हैं। हालात ऐसे हैं कि मेरठ रोड से आएं या रामपुर तिराहा से, शहर में प्रवेश करते ही कूड़े और दुर्गंध स्वागत करती है। डस्टबिन नहीं रख सकी पालिका
वार्डो में कूड़ा खुले में न डाला जाए। इसके लिए डस्टबिन रखने की योजना भी परवान नहीं चढ़ सकी है। कूड़ा सड़क पर फैला रहता है, जबकि कर्मचारी रेहड़ों से उठाकर उसे जहां-तहां डाल रहे हैं। इससे गंदगी का आलम अधिक बढ़ गया है। आबादी से बाहर खाली पड़े प्लाट में भी नागरिकों के साथ पालिका कर्मचारी कूड़ा डाल रहे हैं। इससे व्यवस्था अधिक बिगड़ रही है। काली नदी में डाल रहे कूड़ा
शहर से कूड़ा एकत्र होने के बाद उसे किदवईनगर के एटूजेड प्लांट पर पहुंचाने की जिम्मेदारी कंपनी है, लेकिन पालिका कर्मचारी कूड़े को एकत्र बाहरी छोर पर काली नदी या नालों में डाल रहे हैं। मामले की शिकायत होने के बाद भी कोई समाधान नहीं निकाला जा सका है। काली नदी रोड से शामली, चरथावल, बुढ़ाना आदि क्षेत्रों के लोग शहर में प्रवेश करते हैं। वर्जन..
कूड़े को समय पर उठाए जाने के निर्देश दिए गए हैं। निजी संस्था को भी लापरवाही पर चेतावनी दी गई है। नदी या नालों में कूड़ा डाला जाना गंभीर है। इसकी जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।
-अंजू अग्रवाल, चेयरपर्सन, नगर पालिका परिषद मुजफ्फरनगर।