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मन की शांति चाहिए.. संभलहेड़ा पंचमुखी मंदिर आइए

मीरापुर मार्ग पर गांव संभलहेड़ा में बना पंचमुखी महादेव मंदिर मुगलकाल की यादें संजोए हुए है। संवत 1514 में बने मंदिर में विश्व के तीसरे पंचमुखी शिवलिग स्थापित है। मंदिर में पहुंचने पर श्रद्धालुओं को मन की शांति का अहसास होता है। परिसर में लगे फव्वारें और हरियाली श्रद्धालुओं को आकृषित पर्यटन को भी बढ़ावा दे देती है। मुगलकाल से लेकर ब्रिटिश काल तक की अनोखी कहानी मंदिर की बनावट खुद बयां करती है। पंचमुखी मंदिर कमेटी के पदाधिकारी बताते हैं कि मंदिर का निर्माण करीब 550 साल पहले मुगलकाल में मोनी बाबा के सानिध्य में लाला हुकुमत राय ने कराया था। निर्माण में गांव के ही एक गोयल परिवार ने लगभग 20 बीघे जमीन

By JagranEdited By: Published: Fri, 27 Sep 2019 12:07 AM (IST)Updated: Fri, 27 Sep 2019 12:07 AM (IST)
मन की शांति चाहिए.. संभलहेड़ा पंचमुखी मंदिर आइए

मुजफ्फरनगर, जेएनएन। जानसठ के मीरापुर मार्ग पर गांव संभलहेड़ा में बना पंचमुखी महादेव मंदिर मुगलकाल की यादें संजोए हुए है। संवत 1514 में बने मंदिर में विश्व का तीसरा पंचमुखी शिवलिग स्थापित है। मंदिर में पहुंचने पर श्रद्धालुओं को मन की शांति का अहसास होता है। परिसर में लगे फव्वारे और हरियाली श्रद्धालुओं को आकर्षित कर पर्यटन को बढ़ावा दे रही है। मुगलकाल से लेकर ब्रिटिश काल तक की अनोखी कहानी मंदिर की बनावट खुद बयां करती है।

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पंचमुखी मंदिर कमेटी के पदाधिकारी बताते हैं कि मंदिर का निर्माण करीब 550 साल पहले मुगलकाल में मोनी बाबा के सानिध्य में लाला हुकुमत राय ने कराया था। निर्माण में गांव के ही एक गोयल परिवार ने लगभग 20 बीघे जमीन दान में दी थी। मंदिर में स्थापित पंचमुखी शिवलिग विश्व में तीन स्थानों पर ही स्थापित है, जिसमें से एक नेपाल के पशुपति नाथ मंदिर व एक मेवाड़ में एक शिव मंदिर में है। इस कारण दूर-दूर से श्रद्धालु संभलहेड़ा मंदिर में पहुंचते हैं। मंदिर की ख्याति के कारण ही भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी व मुरली मनोहर जोशी जैसे वरिष्ठ नेता भी वहां दर्शन के लिए पहुंच चुके हैं। मंदिर में लगा घंटा भी संवत 1425 ई. का है। मंदिर निर्माण में प्रयोग की गई कला श्रद्धालुओं के मन में आस्था के साथ पर्यटन का भाव जागृत करती है। मंदिर में पौराणिक श्री लक्ष्मी नारायण, श्री राधा कृष्ण, श्रीराम, हनुमान, व दुर्गा, शनि के अलावा गरुण भगवान की पौराणिक मूर्ति भी स्थापित है। बाग बिखेरता है अछ्वुत छटा

मंदिर के चारों तरफ करीब 40 बीघे का बाग है। बाग के बीचोंबीच स्थित मंदिर में अलौकिक छवि देखते को मिलती है। दिव्य औषधीय पौधों में रुद्राक्ष, आंवला, समी, मौलश्री के पौधे लगे हैं। वहीं आम, अमरूद के छायादार वृक्ष श्रद्धालुओं को बाग में बैठने को मजबूर करते हैं। मंदिर परिसर में लगा फव्वारा शाम के समय श्रद्धालुओं को अधिक लुभाता है। दस करोड़ की लागत

से बढ़ेगा पर्यटन

प्रदेश सरकार की ओर से पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हर विधानसभा से किसी एक पौराणिक स्थल के लिए मांगे गए प्रस्ताव में संभलहेड़ा मंदिर का नाम भेजा गया था। इसके विकास को दस करोड़ का प्रस्ताव भेजा गया था। विधायक विक्रम सैनी ने बताया कि मंदिर को पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यह प्रस्ताव बनकर भेजा जा चुका है। प्रस्ताव के पास होने के बाद मंदिर के विकास को चार चांद लग जाएंगे।


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