संधावली पुल का निर्माण कार्य शुरू, पिछले 10 सालों से निर्माण कार्य रुका हुआ था
00 से अधिक हादसों में 57 लोगों की मौत से दिल्ली से देहरादून तक इस पुल के पूरा करने की मांग हुई। प्रदेश में भाजपा की सरकार आने के बाद इस दिशा में प्रयास तेज हुए। सात माह पूर्व सहमति से मदरसा हटाया गया। मंगलवार को अधूरे पूल को पूरा बनाने का निर्माण कार्य शुरू हुआ तो बड़ी संख्या में यात्रियों ने राहत की सांस ली।
मुजफ्फरनगर : दिल्ली-देहरादून राष्ट्रीय राजमार्ग पर अधूरे पड़े संधावली ओवरब्रिज का निर्माण कार्य हवन के साथ शुरू हो गया है। पूल के नीचे मदरसा आने के कारण पिछले 10 सालों से निर्माण कार्य रुका हुआ था। पुल पर मोड़ कटने की वजह से 57 वाहन सवारों की मौत हुई। दिवंगतों की आत्म शांति को यज्ञ में आहुति देकर प्रार्थना की गई। 11.5 करोड़ की लागत से चार माह में निर्माण कार्य पूर्ण होगा।
संधावली ओवरब्रिज का निर्माण कार्य मदरसे के मार्ग में आने के चलते रुका हुआ था। 100 से अधिक हादसों में 57 लोगों की मौत से दिल्ली से देहरादून तक इस पुल के पूरा करने की मांग हुई। प्रदेश में भाजपा की सरकार आने के बाद इस दिशा में प्रयास तेज हुए। सात माह पूर्व सहमति से मदरसा हटाया गया। मंगलवार को अधूरे पूल को पूरा बनाने का निर्माण कार्य शुरू हुआ तो बड़ी संख्या में यात्रियों ने राहत की सांस ली। हवन में पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री व सांसद डॉ. संजीव बालियान, विधायक कपिलदेव अग्रवाल, प्रमोद ऊटवाल, विक्रम सैनी, उमेश मलिक, विजय कश्यप समेत भाजपा नेता सत्यपाल ¨सह, रूपेंद्र सैनी, डॉ. पुरुषोत्तम, अंचित मित्तल, रामकुमार सहरावत, डॉ. एससी कुलश्रेष्ठ आदि ने हवन में आहुति दी। सांसद ने निर्माण कार्य का पत्थर नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन अनिल तायल से रखवाया, जिनके इकलौते पुत्र की इसी पुल पर हुए हादसे में मौत हो गई थी। डॉ. संजीव बालियान ने कहा कि एक धार्मिक स्थल की वजह से पुल का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका, जिसके चलते 57 लोगों की जान चली गई। इन मौत का जिम्मेदार कौन है? इसका जवाब आने वाले समय में जनता को देना है। अधूरे पुल के निर्माण को वे सालों से लगे हुए थे। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को पुल पर लेकर आए थे। यह था विवाद
वर्ष 2000 में संधावली गांव के समीप मदरसे का निर्माण हुआ। मदरसा प्रांगण में बाहर की ओर मस्जिद बनाई गई। वर्ष 2008 में दिल्ली-देहरादून हाईवे पर ओवरब्रिज की स्वीकृति के बाद से विवाद खड़ा हो गया। मदरसा ओवरब्रिज की जद में आने से निर्माण कार्य रोक दिया। 10 साल पहले एनएचएआइ के अधिकारियों से मदरसा प्रबंधन से वार्ता हुई, लेकिन मुआवजे को लेकर बात नहीं बन सकी। मदरसा प्रबंधन शि¨फ्टग के लिए 50 लाख रुपये की मांग कर रहा था, जबकि नेशनल हाईवे आथॉरिटी 23 लाख रुपये देने को तैयार था। बाद में 40.80 लाख रुपये पर सहमति बनी।