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किसानों पर लाठीचार्ज के विरोध में भाकियू तोमर ने किया हाईवे जाम

भाकियू तोमर ने दिल्ली में किसानों पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में पानीपत-खटीमा राजमार्ग पर जाम लगाया। भाजपा सरकार को किसान विरोधी बताया। जाम के दौरान मार्ग के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गई। इससे लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा। इस दौरान बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा।

By JagranEdited By: Published: Sat, 28 Nov 2020 06:29 PM (IST)Updated: Sat, 28 Nov 2020 06:29 PM (IST)
किसानों पर लाठीचार्ज के विरोध में भाकियू तोमर ने किया हाईवे जाम
किसानों पर लाठीचार्ज के विरोध में भाकियू तोमर ने किया हाईवे जाम

जेएनएन, मुजफ्फरनगर। भाकियू तोमर ने दिल्ली में किसानों पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में पानीपत-खटीमा राजमार्ग पर जाम लगाया। भाजपा सरकार को किसान विरोधी बताया। जाम के दौरान मार्ग के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गई। इससे लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा। इस दौरान बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा।

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दिल्ली में किसान आंदोलन को लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों में भी उबाल है। शनिवार को भाकियू तोमर के अध्यक्ष संजीव तोमर के नेतृत्व में किसानों ने पानीपत-खटीमा राष्ट्रीय राजमार्ग पर कस्बे के तालड़ा तिराहा पर जाम लगा दिया। करीब ढाई घंटे चले जाम में वक्ताओं ने भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। अध्यक्ष संजीव तोमर ने कहा कि किसानों पर लाठीचार्ज करना और उनके ऊपर पानी की बौछार करना बहुत गंभीर मामला है। सरकार को किसानों की बात सुननी चाहिए थी न कि उनके प्रदर्शन पर रोक लगानी चाहिए था। जाम के दौरान मार्ग पर दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गई। बाद में किसानों ने राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन एसडीएम अजय कुमार को दिया। ज्ञापन में उन्होंने कृषि अध्यादेश तुरंत वापस लेने, गन्ने का भाव 450 रुपये कुंतल करने, बिजली के बिलों की दर कम करने व डीजल तथा खाद पर सब्सिडी देने की मांग की है। जाम के दौरान बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा। अखिलेश चौधरी, सरवन कुमार, शाहिद ठेकेदार, करणवीर सिंह, चंद्रपाल, पवन त्यागी, शारिक फरीदी, सलीम राव, मेहरबान, अरशद खान, शहजाद, समर व धीर सिंह आदि मौजूद रहे। नहीं जुट पाई अपेक्षानुरूप भीड़

पश्चिम के किसानों की आवाज उठाने के लिए वैसे तो कई संगठन अस्तित्व में हैं, लेकिन पहले जैसी धार अब संगठनों में नहीं रही। तयशुदा कार्यक्रम में भी मात्र सैकड़ो लोग ही पहुंच सके जिसमें से बहुत तो ऐसे थे जिनका किसानों से कोई लेना-देना नहीं था। कम भीड़ होने के कारण धरना भी चार घंटे के स्थान पर मात्र दो घंटे में ही समाप्त कर दिया गया।


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