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बॉटम:::::::: एमजे 1,2, केले की खेती ने बदल दी तकदीर

नवनीत कांबोज, जानसठ (मुजफ्फरनगर) : पश्चिमी यूपी को गन्ने की खेती के लिए जाना जाता है। यहां भी

By JagranEdited By: Published: Mon, 03 Sep 2018 11:13 PM (IST)Updated: Mon, 03 Sep 2018 11:13 PM (IST)
बॉटम:::::::: एमजे 1,2, केले की खेती ने बदल दी तकदीर
बॉटम:::::::: एमजे 1,2, केले की खेती ने बदल दी तकदीर

नवनीत कांबोज, जानसठ (मुजफ्फरनगर) : पश्चिमी यूपी को गन्ने की खेती के लिए जाना जाता है। यहां भी खासकर मुजफ्फरनगर में तो गन्ने के अलावा और कोई खेती दिखाई ही नहीं देती। गन्ने के भुगतान आदि के लिए यहां पर आंदोलन होना आम बात है। इन सब के बाद एक किसान ने गन्ने की फसल को छोड कर केले की खेती की ओर रूझान किया तो परिणाम सुखद रहा। किसान के मुताबिक गन्ने से कई गुना फायदे की खेती है केला।

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क्षेत्र के रामराज के एक किसान गुरदेव ¨सह पुत्र सुंदर सिहं सेना में नौकरी करते थे। नौकरी से इस्तीफा देकर खेती करने लगे। गुरदेव ¨सह ने बताया कि वह भी परंपरा के अनुसार गन्ने से ही खेती की शुरुआत की। कई सालों तक गन्ने की खेती करते हुए उन्हें लगा कि अपेक्षा के अनुसार गन्ने से फल नहीं मिल रहा है। पूरे साल काम ही काम और बाद में फसल के बाद बचता कुछ नहीं था। उनका गन्ने की खेती से मोह भंग हुआ तो वह खेती के कई ओर प्रयोग करने के लिए निकल पड़े। उन्होंने बताया कि वह बहराईच, गोरखपुर, बाराबंकी गए तो वहां देखा कि कुछ किसान केले की खेती करते है। उन्होंने वहां से इस खेती के बारे में जानकारी लेकर तीन साल पहले एक एकड़ में केले की खेती शुरू की। पहले ही साल उनकी मेहनत रंग लाई और उन्हें गन्ने की फसल से कई ज्यादा मुनाफा इस खेती में दिखाई दिया। तीन साल में ही उन्होंने इस खेती को बढ़ाकर अपनी सारी जमीन में करीब नौ एकड़ में केले लगा दिया। उसके मुनाफे से गुरदेव ¨सह की किस्मत बदल दी। आज वह इस खेती की बदौलत लाखों कमा रहे हैं। कैसे होती है केले की फसल

गुरदेव ¨सह ने बताया कि सबसे पहले केले की पौध बोई जाती है। एक साल में फसल तैयार हो जाती है और उसे मंडी में भेजा जाता है। फसल के कटते ही पेड़ को काटकर उसे खेत में ही डाल दिया जाता है। काटे गए केले से खेत को काफी अच्छी खाद मिल जाती है। जहां से केले को काटा जाता है उसकी जड़ से ही दूसरे साल के लिए पौध निकलने लगती है। जो कि आगे फसल देते हैं। गुरदेव ¨सह ने बताया कि एक बार की लगाई पौध पांच साल तक फसल देती है। उन्होंने बताया कि एक बीघा में करीब 210 केले के पौधे लगाए जाती है। आमदनी भी होती है अच्छी

गुरदेव ¨सह ने बताया कि केले की फसल से उन्हें प्रति एकड़ तीन से चार लाख तक का मुनाफा खर्च को काट कर हो जाता है। यह और भी अधिक बढ़ाया जा सकता है। जिसके लिए वह रासायनिक खेती को छोड़कर जैविक खेती की ओर बढ़ रहे है। उन्होंने बताया कि बुआई के लिए जुलाई सर्वोत्तम माह है। लोगों को कर रहे जागरूक

गुरदेव ¨सह ने बताया कि उनके पास आसपास के जिलों से लोग आकर खेती के बारे में जानकारी हासिल करते है। उन्होंने बताया कि सरकार बिजनौर जिले तक केले की खेती करने के लिए पौध उपलब्ध कराती है लेकिन हमारे जिले में यह सुविधा नहीं होने के कारण इस खेती को बढ़ावा नहीं मिल रहा है। उन्होंने सरकार से अपील की है कि इस जिले में भी शीघ्र इस खेती के लिए सब्सिडी देनी शुरू करनी चाहिए।


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