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झाड़ियों में फेंकी नजवात बच्ची..जिदगी हारी

चरथावल के मुथरा-न्यामू गांव के मार्ग पर झाड़ियों में नवजात बच्ची के मिलने से सनसनी फैल गई। वारदात से समाज को झकझोरने के साथ सरकार की बेटी बचाओ मुखबिर मुहिम पर सवालियां निशान लगा दिए। बेरहम मां ने उसे जन्म जरुर दिया लेकिन गोद नहीं दी। नवजात को मरने के लिए जंगल में फेंक दिया। स्वास्थ्य महकमा ने उसकी जान बचाने की भरसक कोशिशें की मगर सब बेकार गईं। नवजात ने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 25 Aug 2019 11:39 PM (IST)Updated: Sun, 25 Aug 2019 11:39 PM (IST)
झाड़ियों में फेंकी नजवात बच्ची..जिदगी हारी
झाड़ियों में फेंकी नजवात बच्ची..जिदगी हारी

मुजफ्फरनगर, जेएनएन। चरथावल के मुथरा-न्यामू गांव के मार्ग पर झाड़ियों में नवजात बच्ची के मिलने से सनसनी फैल गई। वारदात से समाज को झकझोरने के साथ सरकार की बेटी बचाओ, मुखबिर मुहिम पर सवालिया निशान लगा दिए। बेरहम मां ने उसे जन्म जरुर दिया, लेकिन अपनी गोद नहीं दी। नवजात को मरने के लिए जंगल में फेंक दिया। स्वास्थ्य महकमा ने उसकी जान बचाने की भरसक कोशिशें की, मगर सब बेकार गईं। नवजात ने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया।

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गांव के मार्ग पर जहां नवजात पड़ी मिली है, वहां आवारा कुत्तों का झुंड घूमता है। रविवार सुबह करीब साढ़े सात बजे झाड़ियों से बच्ची के रोने की आवाज आई तो खेतों पर जा रहे ग्रामीण एकत्र हो गए। इस दौरान मुथरा के युवक संदीप और मोनू ने झाड़ियों से नवजात को उठाकर बाहर निकाला। नवजात बच्ची को देखकर गांव में तरह-तरह की चर्चा फैल गई। सूचना पर पहुंची पुलिस ने जांच-पड़ताल की और तत्काल नवजात को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर भर्ती कराया। यहां प्राथमिक उपचार के बाद उसे जिला चिकित्सालय रेफर कर दिया गया।

दोपहर करीब 11:30 बजे नवजात का जिला महिला चिकित्सालय में उपचार किया गया, लेकिन दोपहर ढ़ाई बजे नवजात ने दम तोड़ दिया।

नवजात के जिस्म पर थे जख्म

महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. अमिता गर्ग के मुताबिक नवजात बच्ची के शरीर पर अनेक स्थानों पर जख्म थे। उसकी गर्दन, नाक, पीठ पर कट लग थे। यह कट किसी जानवर के नोंचने के भी हो सकते हैं या डिलीवरी के समय के भी हो सकते हैं। नवजात सात माह गर्भ आयु की थी। उसकी आहार नाल को काटकर धागा बंधा हुआ था। वह प्री-मच्योर की तीसरी स्टेज पर थी, क्योंकि उसका वजन बेहद कम (केवल एक किलोग्राम) था। हालांकि एक स्वस्थ नवजात में ढ़ाई किलो वजन होना जरुरी है। सांस लेने में उसे परेशानी थी, इसलिए ऑक्सीजन लगाया गया था। ढ़ाई घंटे तक उसे दवाईयों और उपचार दिया गया, लेकिन उसकी मृत्यु हो गई।

बेरहम मां को कोष रहे ग्रामीण

नवजात को फेंकने के मामले में ग्रामीण बेरहम मां को कोस रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यह बच्ची किसी दूसरे स्थान से यहां लाकर फेंकी गई है। इसकी अधिकारिक जांच कराई जानी चाहिए। आसपास के अस्पतालों में एक-दो रोज पहले हुई डिलीवरी को देखा जाना चाहिए।

इन्होंने कहा..

जिला अस्पताल में उपचार के दौरान बच्ची की मौत हो गयी। इस मामले में ग्रामीणों की तहरीर पर अज्ञात में मुकदमा दर्ज किया जाएगा।

- सूबे सिंह, थाना प्रभारी चरथावल।


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