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ढलती उम्र में आप भी बने रह सकते हैं ऊर्जावान, हैरान कर देगा एक परिवार की तीन पीढिय़ों का जज्बा Amroha News

पिता बेटी और पौत्र क्षेत्र के युवाओं के लिए बने हुए हैं प्रेरणास्रोत। दिल्ली और माउंट आबू हाफ मैराथन में जीत चुके हैं पदक।

By Narendra KumarEdited By: Published: Mon, 16 Dec 2019 07:14 AM (IST)Updated: Mon, 16 Dec 2019 05:14 PM (IST)
ढलती उम्र में आप भी बने रह सकते हैं ऊर्जावान, हैरान कर देगा एक परिवार की तीन पीढिय़ों का जज्बा Amroha News

अमरोहा (आसिफ अली)। पियूष मान, उम्र 13 साल व कृपाल सिह , उम्र 73 साल। इन दोनों की उम्र में 60 साल का लंबा अंतर है लेकिन, दोनों के बीच एक बात सामान्य है। वह है सुबह उठकर दौड़ लगाने की। दोनों के बीच रिश्ता दादा व पोते का है। इन दोनों के साथ परिवार का एक सदस्य और है। कृपाल सिंह की बेटी सुषमा देवी, उम्र 32 साल। सुषमा देवी भी दोनों के साथ मिलकर दौड़ लगाती हैं। दौड़ को स्वस्थ रहने का सबसे अच्छा नुस्खा बताने वाली एक ही परिवार की तीन पीढ़ी से न सिर्फ गांव के बल्कि आसपास के गांव के युवक-युवतियां भी प्रेरित हैं। तीनों को देख कर अब दौड़ लगाने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। तीनों लोग दिल्ली व राजस्थान में हुई मैराथन में हिस्सा लेकर पदक भी जीत चुके हैं। 

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इस गांव में रहता है परिवार 

दिल्ली हाईवे पर रजबपुर से करीब पांच किमी. दूर गांव नाजरपुर नाईपुरा है। यहां पर कृपाल सिंह का परिवार रहता है। परिवार में दो बेटे वीरेंंद्र सिंह व दिनेश कुमार के अलावा एक बेटी सुषमा देवी हैं। कृपाल का पोता पियूष मान वीरेंद्र का बेटा है। उम्र के लिहाज से कृपाल जरूर बुजुर्ग हैं लेकिन, खुद को स्वस्थ रखने की इच्छाशक्ति उन्हें जवान बनाए हुए है। इस उम्र में भी वह रोज सुबह पांच किमी. की दौड़ लगाते हैं। वह खुद ही नहीं बल्कि उनके साथ बेटी सुषमा व पोता पियूष मान भी दौड़ लगाते हैं। खुद को स्वस्थ रखने के लिए वह दौड़ को सबसे अच्छा व्यायाम मानते हैं। इसी वजह से कृपाल इसी वर्ष अगस्त में राजस्थान के माउंट आबू में हुई हाफ मैराथन दौड़ में स्वर्ण पदक जीत कर लाए थे। इतना ही नहीं अक्टूबर में पियूष को दिल्ली हाफ मैराथन में रजत तो बेटी सुषमा को कांस्य पदक मिला था। एक परिवार की तीन पीढिय़ों को दौड़ लगाते देख अब न सिर्फ नाजरपुर के बल्कि आसपास के गांव के युवक-युवतियां भी दौड़ लगाने लगे हैं। 

साइकिल से करते हैं सफर

वृद्ध कृपाल खुद को दौड़ लगाने के कारण ही स्वस्थ मानते हैं। इस उम्र में भी वह कहीं जाते हैं तो बाइक या टेंपो से नहीं बल्कि साइकिल से सफर करते हैं। कहते हैं कि दौड़ लगाने के साथ ही साइकिल चलाना उन्हें अच्छा लगता है। इससे व्यायाम होता है। इस उम्र में भी उन्हें सांस फूलना व जोड़ों के दर्द जैसी शिकायत कभी नहीं हुई।


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