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विश्व एनेस्थेसिया दिवस : गंभीर मामलों में ये निभाते हैं अहम भूमिका, जानिए कैसे बचाते हैं मरीजों की जान Moradabad News

इस साल इंडियन सोसायटी ऑफ एनेस्थेसिया के सदस्य 50 हजार पैरामेडिकल के छात्र-छात्राओं और स्कूली बच्चों को कार्डियक कंप्रेशन के लिए प्रशिक्षित करेंगे।

By Narendra KumarEdited By: Published: Wed, 16 Oct 2019 01:48 PM (IST)Updated: Wed, 16 Oct 2019 06:21 PM (IST)
विश्व एनेस्थेसिया दिवस : गंभीर मामलों में ये निभाते हैं अहम भूमिका, जानिए कैसे बचाते हैं मरीजों की जान  Moradabad News
विश्व एनेस्थेसिया दिवस : गंभीर मामलों में ये निभाते हैं अहम भूमिका, जानिए कैसे बचाते हैं मरीजों की जान Moradabad News

मुरादाबाद, जेएनएन। क्रिटिकल मामलों में एनेस्थेटिस्ट की भूमिका अहम है। कुछ दिन पहले कांठ की रहने वाली 24 वर्षीय महिला का गर्भपात हुआ था। पेट में नीचे की आंत फटने की वजह से गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। महिला को क्रिटिकल केयर में वेंटीलेटर पर रखा गया। प्रतिदिन एनेस्थेटिस्ट की निगरानी में इलाज हुआ। 11वें दिन वेंटीलेटर से हटाया गया। करीब 16वें दिन महिला चलने लायक हुई। उस महिला के परिवार के लोगों ने तो उम्मीद ही छोड़ दी थी लेकिन, हालत में सुधार होने के बाद एनेस्थेटिस्ट एसोसिएशन में भी इस तरह के केस पर चर्चा हुई। वहीं देश में 70 फीसद मौत हृदयाघात की वजह से होती है। विश्व एनेस्थेसिया दिवस पर मुरादाबाद एनेस्थेसिया सोसायटी के सदस्य लोगों को जागरूक करेंगे। 

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बच्चों को देंगे प्रशिक्षण

एनेस्थेटिस्ट इस साल कार्डियक कम्प्रेशन देने का प्रशिक्षण स्कूलों के बच्चों को देंगे। इससे उन्हें बताया जाएगा कि हृदयघात पडऩे पर तत्काल दिया जाए। इससे उन्हें आसानी होगी। 

डॉ. पल्लवी अहलूवालिया, एनेस्थेटिस्ट 

बैलेंस एनेस्थेसिया का दौर 

आज बैलेंस एनेस्थेसिया का दौर है। मरीज का दिल, सांस, ऑक्सीजन, किडनी फंक्शन आदि की मॉनिटङ्क्षरग की जाती है। मरीज चलने फिरने लगता है तो हमारा काम खत्म होता है। 

डॉ. इला शाह, एनेस्थेटिस्ट 

आपरेशन से पहले नशा देना जरूरी

आपरेशन से पहले नशा देना जरूरी है। वक्त के साथ बहुत बदलाव आया है। प्रसव के लिए आई महिला के दर्द रोकने की दवा से उसे आराम मिलता है और नार्मल प्रसव में भी आसानी हो जाती है। 

डॉ. गेसु मेहरोत्रा, एनेस्थेटिस्ट 

मरीज के लिए होती है आसानी

आज एनेस्थेटिस्ट को पेन फिजिशियन के रूप में भी पहचाना जाता है। क्रिटिकल केयर में भी अहम भूमिका रहती है। समय के साथ बड़ा बदलाव आया है। मरीज के लिए आसानी हुई है। 

डॉ. किशन वाष्र्णेय, एनेस्थेटिस्ट एसोसिएशन सचिव 

पहले लगता था अधिक समय

मरीज का सुबह में आपरेशन और शाम को उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है। ये सभी एनेस्थीसिया की दवाओं से संभव हुआ है। पहले लोगों को अधिक समय तक रुकना पड़ता था। 

डॉ. पंकज बुंदेला, एनेस्थेटिस्ट   

समय के साथ आया बदलाव

समय के साथ बदलाव आया है। नशा देने वाले डॉक्टर अब दर्द रोकने में अहम रोल अदा कर रहे हैं। दवाइयां भी बेहतर हैं। आपरेशन के बाद जल्दी रिकवरी हो जाती हैै। 

डॉ. रनवीर सिंह, एनेस्थेटिस्ट महिला अस्पताल 


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