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असलहा की कुर्सी पर खींचतान, कब्जाने के लिए बाबू परेशान Moradabad News

कलेक्ट्रेट की असलहा कुर्सी कब्जाने के लिए मुरादाबाद के बाबू हर संभव तरकीब अपना रहे हैं। ऊंट किस करवट बैठेगा ये तो आने वाला समय ही बताएगा।

By Narendra KumarEdited By: Published: Tue, 18 Feb 2020 08:30 AM (IST)Updated: Tue, 18 Feb 2020 06:30 PM (IST)
असलहा की कुर्सी पर खींचतान, कब्जाने के लिए बाबू परेशान  Moradabad News
असलहा की कुर्सी पर खींचतान, कब्जाने के लिए बाबू परेशान Moradabad News

मुरादाबाद (रितेश द्विवेदी)। कलेक्ट्रेट की असलहा कुर्सी पर काबिज होने के लिए कुछ बाबू इन दिनों बड़े परेशान हैं। एक कर्मचारी इसी माह सेवानिवृत्त हो रहे हैं, उनकी जगह हथियाने के लिए बड़े-बड़े तीर छोड़े जा रहे हैं। नेताओं की चौखट से लेकर शासन के अधिकारियों से सिफारिश लगाने का खेल चल रहा है लेकिन, बड़े साहब पर कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ रहा है। साहब तो बस यही कहते घूम रहे हैं, कि मेरिट पर फैसला लिया जाएगा। एक बाबू इतने परेशान हैं, कि उन्होंने अपने संबंधों का प्रयोग करते हुए प्रमुख सचिव के कार्यालय से  फोन तक करवा दिया है। शासन के इस अधिकारी ने भी काम पूरा कराने का आश्वासन दे डाला है लेकिन, बड़े साहब पर इसका कितना प्रभाव पड़ेगा यह आने वाला वक्त ही बताएगा। कलेक्ट्रेट की इस कुर्सी पर गिद्ध की तरह कुछ बाबू निगाह लगाकर बैठे है। कोई भी इस मौके से चूकना नहीं चाहता है।

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ताजपोशी की टूटी उम्मीदें

डेढ़ माह से मुरादाबाद विकास प्राधिकरण में उपाध्यक्ष पद की कुर्सी खाली पड़ी है। इस कुर्सी पर बैठने के लिए एक आइएएस अधिकारी बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहे थे लेकिन, वक्त बीतने के साथ ही उनकी उम्मीद भी टूटने लगी है। उपाध्यक्ष के इंतजार में एमडीए के कर्मचारी ताक लगाकर बैठे हैं, ताकि दफ्तर का सन्नाटा खत्म हो सके। तत्कालीन उपाध्यक्ष ने एमडीए को बदलने के लिए बड़े दावे किए थे लेकिन, उनके जाने के बाद सारी योजनाएं कागजी लिफाफों में बंद हैं। दफ्तर शिफ्टिंग से लेकर नए बाईपास की योजना वक्त के साथ धूमिल हो गई है। उपाध्यक्ष की कुर्सी पाने के लिए एक आइएएस अधिकारी दिन रात शासन के नियुक्ति दफ्तर चक्कर काट रहे थे। उनको कुर्सी दिलाने के लिए बिल्डरों की एक लॉबी भी सक्रिय हो गई थी लेकिन, डेढ़ माह बीतने बाद उनकी उम्मीद टूट चुकी है। उन्हें पता चल गया, उन्हें जीत नहीं मिलेगी।

छलका जेलर का बड़ा दर्द

जेल में होने वाली करतूतों से सरकार की कुर्सी हिल जाती है। अंदर बैठे अपराधी कैसे बाहर अपराध को अंजाम देते हैं, यह बात अब किसी से छुपी नहीं है। साल 2019 में उत्तर प्रदेश की जेलों के अंदर से कई ऐसी तस्वीर सामने आई हैं, जो अभी तक फिल्मों में देखी जाती रही हैं। इसके बाद भी अफसर बंदियों को मानवता का पाठ पढ़ाकर सुविधा देने की वकालत करते हैं। जेल में बंदियों को मिलने वाली सुविधा से लेकर अफसरों को मिलने वाले मेडल से कारागार के जेलर साहब खफा है। अफसरों के सामने जब वह कुछ सुना नहीं पाते तो उनका दर्द सोशल मीडिया छलक पड़ता है। इस बार गणतंत्र दिवस पर मिले मेडल पर जेलर साहब ने सवाल उठा दिए। पदक पाने वाले अधिकारियों को बहुत ही सलीके  से उन्हें चाटुकार की उपाधि दे डाला। इन करतूतों से जेल के अफसर भी बात करने से कतराते हैं।

बदलू नेता की डील फेल

चुनाव के जिस पार्टी के पक्ष में नतीजे आते हैं, वैसे ही शहर के एक नेताजी मौसम की तरह पार्टी बदल लेते हैं। दल-बदलू होने के बाद हमेशा इन्हें सभी पार्टियों से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक खास प्रकोष्ठ के पद लेते थे। बिना पद के भी यह पदाधिकारी बनकर खुद की गाड़ी के ऊपर फूल डालकर चलते हैं लेकिन, फूल वाली पार्टी में इनकी दाल नहीं गली। नवनियुक्त पदाधिकारियों से महानगर की कमेटी में पद मांग रहे थे। जमीन की डील छोड़ पद की डील कर डाली। पद लेने के लिए नेताजी ने इस बार कद भी घटा दिया था लेकिन, इनकी यह डील फेल हो गई। अपनी ऐसी हरकतों के चलते फूल वाली पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का भी इन्होंने ऑडियो वायरल कर दिया, जिससे उनकी राजनीति किनारे लग गई। इस बार की डील फेल हो गई। अब तो उन पर कार्रवाई की तलवार भी लटक रही है।


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