बाजार खुलते ही उम्मीदों को लगे पंख, सपनों ने भरी उड़ान
बाजार खुलते ही उम्मीदों को लगे पंख सपनों ने भरी उड़ान।
मुरादाबाद, जेएनएन। 68 दिन के लंबे इंतजार के बाद सोमवार को पहली बार खुले बाजार में उम्मीदें व सपने एक साथ दिखे। सड़क पर उमड़ी भीड़ जहां व्यापारियों और कामगारों को सपने दे गई, वहीं ग्राहकों की सजग और सतर्क चहल पहल ने संदेश दिया कि उम्मीदें जिदा हैं। वक्त भले ही लगे लेकिन, मुरादाबाद के बाजार जल्द ही पहले की भांति गुलजार होंगे।
अनलॉक 1.0 में आंखों में ऊहापोह और कौतूहल लेकर लोग बाइक, कार, साइकिल व यहां तक कि पैदल भी बाजार की ओर बढ़ चले। यही वजह रही कि मुरादाबाद की सड़कों पर महीनों बाद ट्रैफिक का रेला दिखा। वाहनों और लोगों की भीड़ में महिलाओं की अच्छी खासी तादाद शामिल रही। शहर में कांठ रोड, सिविल लाइंस रोड, जेल रोड, गुरहट्टी चौराहा, चौमुखा पुल, अमरोहा गेट, बर्तन बाजार, कटरा नाज, मंडी चौक व पान दरीबा सराफा बाजार, संभली गेट, गलशहीद, टाउनहाल, बुध बाजार, कंजरी सराय, ताडीखाना, कोर्ट रोड बाजार की किराना, कपडा, ज्वेलरी, इलेक्ट्रानिक, स्टेशनरी, स्पोर्ट्स आदि दुकाने खुली रहीं। कड़ी धूप के बाद भी बाजार में भीड़ रही। किराना व परचून की दुकानों पर भीड़ अधिक रही। कपडों की दुकान पर भी खरीदार देखे गए। सराफा दुकानें ग्राहकों से खाली रहीं। दोपहर बाद ग्राहकों की भीड़ में इजाफा तो हुआ, लेकिन बाजार से समान समेट कर घर निकलने की जल्दी भी उनके भीतर देखी गई। कोरोना संक्रमण के खतरे को लेकर ग्राहक सजग व सतर्क रहे। ग्राहक मास्क व ग्लबस का उपयोग करते मिले। सात बजते ही दुकानों के शटर गिरने लगे। इससे पहले ग्राहक घरों की ओर बढ़ चले। घर लौट रहे ग्राहकों के चेहरे पर आत्मविश्वास व्यापारियों के लिए संजीवनी से कम नहीं है। कोट -- -- लॉकडाउन में रोजमर्रा के सामान भले ही उपल्ब्ध थे लेकिन, घर से बाहर न निकल पाने की कसक दिल व मन में रही। बाजार देखने की ललक में आज घर से निकली। दिल को बड़ा शुकून मिला है। - मेघा जैन- गंज बाजार -- दौड़भाग से भरी जिदगी में बाजार की भूमिका महत्वपूर्ण है। बाजार हमारे रगों में रचा बसा है। कोरोना काल में अचानक बंद हुए बाजार से जीवन में उदासी थी। वह अब दूर होगी। बाजार खुला देख अच्छा लगा। शंभूनाथ-डिप्टी गंज। -- इंसान एक दूसरे पर निर्भर है। लंबे समय तक बाजार बंद होने से कड़ियां टूटती हैं। सवा दो माह बाद बाजार खुला। अच्छा लगा। बाजार के जरिए कोरोना न फैले इसे भी ध्यान में रखना होगा। -- पूनम सैनी-कंजरी सराय। -- अनलाक फेज वन से सिर्फ बाजार ही नहीं, बल्कि इंसान के जीवन में भी रौनक लौटी है। आजीविका सभी की चले इसलिए बाजार का खुलना जरूरी है। दो माह से अधिक दिन हो गए। आज आंखों को सुकून मिला है। -- डॉ. शबाहत खां-दीवान का बाजार हम हारे नहीं हैं, लडेंगे और जीतेंगे
कोरोना के खिलाफ जंग में कारोबारी नुकसान के बाद भी सराफा कारोबारियों के हौसले पस्त नहीं हैं। वह जूझने व वायरस से जंग जीतने की इच्छाशक्ति से लबरेज हैं। गुरहट्टी चौराहे के समीप सराफा की दुकान चलाने वाले नीतिन अग्रवाल कहते हैं कि इस वर्ष बड़ा कारोबारी नुकसान हुआ। भरपाई करने में वर्षों लगेंगे। फिर भी मलाल नहीं है। बाजार फिर गुलजार होंगे। ग्राहक फिर लौटेंगे। यह उम्मीद कायम है।