Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यूपी के मानचित्र पर नया सितारा! नजीबाबाद का जंगल बना बाघों का 'गुप्त ठिकाना'

    Updated: Tue, 02 Dec 2025 06:30 AM (IST)

    उत्तर प्रदेश के नजीबाबाद वन क्षेत्र में पहली बार तीन बाघ और एक भालू कैमरे में कैद हुए हैं। यह क्षेत्र अब वन्यजीव प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र बन ...और पढ़ें

    Hero Image

    कैमरे में कैद भालू

    मोहसिन पाशा, जागरण, मुरादाबाद। उत्तर प्रदेश को जल्द ही एक नया, वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित वन्यजीव क्षेत्र मिलने जा रहा है। नजीबाबाद का 34 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में फैला घना जंगल जल्द ही वन्यजीव क्षेत्र बन सकता है। यह जंगल अब केवल आवाजाही का मार्ग नहीं है बल्कि बाघ, हाथी, गुलदार और काला भालू जैसे बड़े वन्यजीवों का स्थायी घर बन चुका है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इसकी पुष्टि हाल में कौड़िया रेंज में लगाए गए कैमरा ट्रैप में मिलने वाली तस्वीरों से हुई है, जिनमें तीन बाघ और एक हिमालयन काला भालू कैद हुए हैं। इसके बाद वन विशेषज्ञों ने इस क्षेत्र को उत्तर प्रदेश के नए महत्वपूर्ण वन्यजीव क्षेत्र के रूप में चिह्नित करके पहली बार बाघ की गणना कराने का निर्णय लिया है।

    अखिल भारतीय बाघ गणना 2026 में इस क्षेत्र को पहली बार नजीबाबाद के घने जंगल को औपचारिक रूप से शामिल किया गया है। इससे इस जंगल की वास्तविक जैव विविधता, वन्यजीवों की संख्या और प्राकृतिक आवास की स्थिति का वैज्ञानिक आंकलन किया जा सकेगा। जंगल में लगने वाले कैमरों में आने वाली हर तस्वीर वन विभाग को यह समझने में मदद करेगी कि बाघ, हाथी, गुलदार और दूसरे जीव किस मार्ग से घूमते हैं और किस हिस्से में उनकी गतिविधि सर्वाधिक है।

    इसके अलावा चीतल, सांभर, पाड़ा, काकड़ और जंगली सूअर जैसे शाकाहारी जीवों की संख्या भी अधिक संख्या जंगल में बताई जा रही है, जो बाघों के लिए मुख्य आहार हैं। जनवरी से अप्रैल तक चलेगा बाघ गणना अभियान चलना है। 18 से 20 नवंबर तक भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून में इसके लिए प्रशिक्षण हो चुका है। वन संरक्षक रमेश चंद्र, जिला वन अधिकारी, बिजनौर जय सिंह कुशवाहा, नजीबाबाद के प्रभागीय सहायक अंशुमान मित्तल आदि स्टाफ के स्टाफ ने हिस्सा लिया है।

    इन्हीं को बाघों की गणना करानी है। जनवरी से अप्रैल 2026 तक शाकाहारी जीवों की गणना होगी। वनस्पति का अध्ययन भी किया जाएगा। कैमरा ट्रैप की स्थिति को लगातार अधिकारी देखते रहेंगे। गणना के बाद पूरा कर आंकड़े भारतीय वन्यजीव संस्थान को भेजे जाएंगे। इसके बाद नौ महीने तक उनका विश्लेषण होगा और जनवरी 2027 में अंतिम रिपोर्ट जारी होगी।

    चिड़ियापुर से कालागढ़ तक 60 किलोमीटर लंबा सतत जंगल

    यह जंगल हरिद्वार के चिड़ियापुर से लेकर कालागढ़ तक लगभग 60 किलोमीटर की दूरी तक फैला है। यह क्षेत्र उत्तराखंड राज्य सीमा से जुड़ा होने के कारण कार्बेट बाघ अभयारण्य से पास से होकर निकलता है लेकिन, यूपी में होने के कारण वहां नहीं जोड़ा जा सकता। प्राकृतिक रूप से यह उसी भू-दृश्य का हिस्सा है। यही कारण है कि हाथी और बाघ लगातार इस क्षेत्र में आते-जाते रहते हैं और यहां स्थायी ठिकाना बना रहे हैं।

    तकनीकी चुनौती: कृषि भूमि प्रमुख बाधा

    वन अधिकारियों का कहना है कि जंगल के अंदर ही कई स्थानों पर कृषि फार्म मौजूद हैं। यदि इसे पूर्ण संरक्षित वन्यजीव क्षेत्र बनाया जाता है, तो इन मार्गों का उपयोग नियंत्रित करना पड़ेगा। यही वर्तमान में सबसे बड़ी तकनीकी चुनौती है। इसके बावजूद वन्यजीवों की लगातार बढ़ती उपस्थिति बताती है कि जंगल प्राकृतिक रूप से समृद्ध हो रहा है।

    अमानगढ़ टाइगर रिजर्व में भी होगी गिनती

    नजीबाबाद के साथ ही मुरादाबाद के अमानगढ़ बाघ आरक्षित क्षेत्र (80 वर्ग किलोमीटर) में भी तैयारी शुरू हो चुकी है।अ मानगढ़ में पहले से मौजूद बाघ, हाथी और गुलदार की संख्या इस पूरे क्षेत्र को एक विस्तृत बाघ–भू-दृश्य के रूप में स्थापित करती है। वन्यजीव की गिनती के लिए 45 खंड बनाए गए हैं। इसमें 90 कैमरा ट्रैप लगाए जाने हैं। इनके माध्यम से तस्वीर लेकर वन्यजीव की गिनती होगी।

    नजीबाबाद के जंगल की विशेषताएं

    • घना वन आवरण
    • मनुष्य की कम गतिविधि
    • प्राकृतिक जल स्रोत
    • बाघों और हाथियों की आवाजाही
    • पर्याप्त शाकाहारी जीव
    • ये सभी तत्व इसे प्रदेश के नए मुख्य वन्यजीव क्षेत्र के रूप में स्थापित करने के लिए पर्याप्त हैं।
    • वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि आगामी वर्षों में यह क्षेत्र उत्तर प्रदेश के वन्यजीव मानचित्र पर सबसे प्रमुख स्थान हासिल करेगा।

    नजीबाबाद के जंगल पर एक नजर

    कुल क्षेत्रफल 340 वर्ग किलोमीटर
    विभाजन दो-दो वर्ग किलोमीटर के 150 से अधिक खंड
    गणना को लगाए जाने वाले कैमरे 300 से अधिक
    हर खंड में दो कैमरे आमने–सामने

     

    नजीबाबाद का जंगल अब प्रमुख बाघ-हाथी क्षेत्र के रूप में तेजी से विकसित हो रहा है। यहां की जैव विविधता इसे उत्तर प्रदेश के सबसे महत्वपूर्ण वन्यजीव क्षेत्रों में बदल सकती है। इस वर्ष पहली बार इस जंगल में बाघों की गणना होगी। इसके लिए कार्ययोजना तैयार कर ली गई है। पहले अमानगढ़ टाइगर रिजर्व क्षेत्र की गणना होनी है। इसके बाद नजीबाबाद के जंगल में बाघों की गिनती की जाएगी।

    - रमेश चंद्र, वन संरक्षक एवं क्षेत्रीय निदेशक, मुरादाबाद मंडल


    यह भी पढ़ें- 'ड्रॉप मोर क्रॉप' योजना: मुरादाबाद मंडल में अमरोहा अव्वल, मुरादाबाद फिसड्डी; जिला प्रशासन को 10 दिन का अल्टीमेटम