अब सड़क पर चलने वाले वाहनों की तर्ज पर रेलवे लाइनों पर दौड़ेंगी ट्रेनें
वाहन एक के पीछे एक चलते हैं उसी तर्ज पर रेल लाइन पर ट्रेनें भी दौड़ेंगी।
मुरादाबाद (प्रदीप चौरसिया): सड़कों पर जैसे वाहन एक के पीछे एक चलते हैं
उसी तर्ज पर रेल लाइन पर ट्रेनें भी दौड़ेंगी। ट्रेन के चालक को आगे जा रही
ट्रेन के गार्ड की बोगी के पीछे का हिस्सा दिखाई देगा। यह होगा यूरोपीय
ट्रेन कंट्रोल सिस्टम-2 के जरिये, जिसे रेलवे ने लगाने की योजना तैयारी की
है। इसके जरिये पाच सौ मीटर की दूरी पर एक मिनट के बाद दूसरी ट्रेन चल
सकेंगी। इसके लिए दिल्ली-इलाहाबाद और दिल्ली-लखनऊ रेल मार्ग पर सर्वे कराया जा रहा है। कुछ रेलवे लाइनों का दोहरीकरण है प्रस्तावित
देश के सभी प्रमुख रेल मागरें पर क्षमता से अधिक ट्रेनें और मालगाड़ी चलाई
जा रही हैं। उदाहरण के लिए लखनऊ-मुरादाबाद-अमृतसर रेल मार्ग पर प्रत्येक
दिन दो सौ से अधिक ट्रेनें चलती हैं, जबकि इस मार्ग पर 80 ट्रेनें चलाने की
क्षमता है। इसी तरह से 40 मालगाड़ी के स्थान पर सौ मालगाड़ी चलाई जा रही
हैं। दूसरी ओर लगातार नई ट्रेनें चलाने की माग की जा रही है। भीड़ के चलते
ही तीसरी और चौथी रेल लाइन डालने की योजना पर भी रेलवे काम कर रहा है,
लेकिन नई लाइन डालने में 20 साल से अधिक का समय लग जाएगा। कुछ रेल मागरें
का दोहरीकरण प्रस्तावित है, जिसमें 10 साल से अधिक का समय लगेगा। विदेशी तकनीकी ला रहा है रेल मंत्रालय
रेल मंत्रालय इस समस्या के समाधान के लिए विदेशी तकनीक लाने जा रहा है।
यूरोप में ट्रेनों को संचालित करने वाली यूरोपीय ट्रेन कंट्रोल सिस्टम-2
लगाने की तैयारी है। इस सिस्टम से सड़क पर चलने वाले वाहनों की तर्ज पर
ट्रेनें चलेगी। इस सिस्टम को लगाने में कम खर्च करना पड़ेगा और कम समय में
अधिक ट्रेनें चलाई जा सकेंगी। क्या है यूरोपीय ट्रेन कंट्रोल सिस्टम-2
यूरोपीय ट्रेन कंट्रोल सिस्टम-2 में ट्रेनों का संचालन लंबे ब्लॉकों (दो
स्टेशन की दूरी) के बजाय छोटे ब्लॉकों पर किया जाता है। इसमें दो ट्रेनों
के बीच दूरी मात्र पाच सौ मीटर होती है। इससे प्रत्येक एक मिनट पर स्टेशन
से दूसरी ट्रेनें चलाई जा सकती है। भारत में ऑटोमेटिक सिग्नल सिस्टम
व्यवस्था है। इसकी न्यूनतम दूरी 10 किलोमीटर है। जब तक ट्रेन पहला सिग्नल
पार नहीं कर जाती, तब तक दूसरी ट्रेन नहीं चलाई जा सकती है। इसमें कम से कम
15 मिनट का समय लगता है। इन मार्गो पर प्रस्तावित है सिस्टम
रेलवे बोर्ड यूरोपीय ट्रेन कंट्रोल सिस्टम-2 लगाने के लिए दिल्ली-इलाहाबाद
और दिल्ली-मुरादाबाद-लखनऊ रेल मार्ग का चयन किया है, क्योंकि दोनों रेल
मार्ग काफी व्यस्त हैं। दोनों मागरें पर सर्वे कराया जा रहा है। नया
सिस्टम लग जाने के बाद दोनों मागरें पर 50 फीसद तक ट्रेनों व मालगाड़ी की
वृद्धि की जा सकेगी। किया जा रहा है सर्वे : डीआरएम
कम समय में अधिक ट्रेनें चलाने के लिए यूरोपीय ट्रेन कंट्रोल सिस्टम-2
लगाया जाना प्रस्तावित है। इसके लिए सर्वे भी किया जा रहा है।
-अजय कुमार सिंघल, मंडल रेल प्रबंधक, मुरादाबाद